नई दिल्ली: अधिक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की वजह से आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार 12 और 18 फीसदी की जगह एक नया स्टैंडर्ड स्लैब ला सकती है. यह स्लैब 15 फीसदी का हो सकता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'जीएसटी के 18 महीने' नाम से लिखे गए एक ब्लॉग में कहा कि आने वाले समय में देश में जीएसटी के 0, 5 और स्टैंडर्ड रेट टैक्स स्लैब होंगे. उन्होंने पहले के दौर में 31 फीसदी तक ऊंचे टैक्स को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा.
जेटली ने कहा, ''इस समय उपयोग की कुल 1,216 वस्तुओं में से 183 पर 0 प्रतिशत, 308 पर 5 प्रतिशत, 178 उत्पादों पर 12 प्रतिशत और 517 पर 18 की दर से जीएसटी लगता है.'' उन्होंने कहा, " 28 प्रतिशत का कर स्लैब अब खत्म हो रहा है." वर्तमान में इसमें सिर्फ लग्जरी और अहितकारी उत्पादों के अलावा वाहनों के कलपुर्जे, एसी और सीमेंट समेत केवल 28 वस्तुएं ही बची हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में, "जीएसटी के रूप में परिवर्तन पूरा होने के साथ अब हम इसकी दरों को तर्कसंगत बनाने के पहले चरण को पूरा करने के करीब हैं. उदाहरण के लिये लग्जरी और अहितकारी वस्तुओं को छोड़कर बाकी वस्तुएं को चरणबद्ध तरीके से 28 प्रतिशत के उच्चतम कर के दायरे से बाहर की जा रही है."
उन्होंने कहा कि इस समय 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें है. जो भविष्य में एक की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि अब व्यापक उपभोग की केवल दो वस्तुओं- सीमेंट और वाहन कुलपुर्जे पर ही 28 प्रतिशत का कर है. हमारी अगली प्राथमिकता सीमेंट को कम कर-दर के दायरे में ले जाने की होगी.
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वित्त मंत्री ने कहा कि भवन निर्माण की अन्य सभी सामग्रियों को पहले ही 28 प्रतिशत से निकाल कर 18 प्रतिशत और 12 प्रतिशत के दायरे में रखा जा चुका है. गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने शनिवार को 23 वस्तुओं पर कर की दरों में कटौती की थी.
जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले अधिकतर वस्तुओं पर 31 प्रतिशत का कर लगता था. लोगों के पास केवल दो ही विकल्प थे- या तो ज्यादा कर का भुगतान करें या फिर कर चोरी. उन्होंने कहा कि उस समय काफी हद तक कर चोरी का बोलबाला था.
उन्होंने जीएसटी के मामले में सरकार के आलोचकों पर तंज कसते हुए किहा, ‘‘जिन लोगों ने भारत को 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर के बोझ के नीचे दबा रखा था और जो जीएसटी का उपहास करते रहे हैं उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए.’’ उन्होंने यह भी लिखा है कि , ‘‘गैर जिम्मेदाराना राजनीति और गैर जिम्मेदाराना अर्थ-नीति दोनों केवल रसातल में ही ले जाती हैं.’’
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