बजट पर बोले पी. चिदंबरम- निर्मला ने गरीबों, वर्किंग क्लास, किसानों और पलायन करनेवालों को दिया धोखा
पी. चिदंबरम ने बजट पर निराशा जाहिर करते हुए कहा- ‘‘इस बजट से इतनी निराशा हुई है जितनी कभी नहीं हुई. पिछले साल की तरह इस बजट की सच्चाई सामने आ जाएगी.’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘ इस बजट का नाम धोखेबाज बजट है. इसमें सिर्फ लोगों को धोखा दिया गया है.’’
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट को कांग्रेस ने निराशाजनक करार दिया. कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के लोगों को धोखा दिया है और इससे पहले कभी भी बजट से इतनी निराशा नहीं हुई.
पूर्व वित्त मंत्री ने संवाददाताओं से सोमवार को कहा, ‘‘वित्त मंत्री ने भारत के लोगों खासकर गरीबों, कामकाजी तबके, मजूदरों, किसानों, स्थायी रूप से बंद हुईं औद्योगिक इकाइयों और बेरोजगार हुए लोगों को धोखा दिया है. उन्होंने उनका भाषण सुन रहे सांसदों समेत उन सभी लोगों के साथ धोखा किया है जिनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि पेट्रोल एवं डीजल समेत कई उत्पादों पर उपकर लगा दिया गया है.’’
चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में रक्षा समेत कई महत्वपूर्ण विषयों का उल्लेख नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘सरकार से बड़ी उम्मीदें थी कि खर्च में बढ़ोतरी की जाएगी ताकि निजी निवेश और उपभोग को बढ़ावा मिल सके, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि मामूली बढ़ोतरी हुई है जो 34,50,305 करोड़ रुपये से बढकर 34,83,236 करोड़ रुपये हो गया है.’’
पी. चिदंबरम ने आगे कहा- ‘‘इस बजट से इतनी निराशा हुई है जितनी कभी नहीं हुई. पिछले साल की तरह इस बजट की सच्चाई सामने आ जाएगी.’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘ इस बजट का नाम धोखेबाज बजट है. इसमें सिर्फ लोगों को धोखा दिया गया है.’’
गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए मोदी सरकार के बजट से मध्यम वर्ग के लोगों को कोई खास राहत नहीं मिली है. इस बजट में आयकर स्लैब में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया और ना ही आयकर छूट की सीमा बढ़ाई गई. हालांकि, 75 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर सिटीजन जिनकी आय का स्त्रोत सिर्फ पेंशन है उन्हें आयकर रिटर्न फाइल करने दूर रखा गया है. इसके साथ ही, हेल्थ और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया है. लेकिन, मिडिल क्लास को किसी तरह की राहत ना दिए जाने को लेकर आलोचना की जा रही है.