Nirmala Sitharaman in Lok Sabha: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार (19 दिसंबर) को लोकसभा (Lok Sabha) में एक लिखित जवाब में कहा है कि पिछले 5 सालों में सरकारी और अन्य बैंकों ने 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ (Write Off) किया है. वित्त मंत्री ने कहा कि Write Off (बट्टे खाते) का मतलब लोन माफी नहीं होता है. रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के हिसाब से सभी बैंक लोन राइट ऑफ करते हैं. 


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक लिखित जवाब में कहा कि लोन राइट ऑफ (Write off) करने से लेनदार को कोई भी फ़ायदा नहीं होता है. 


लोकसभा में वित्त मंत्री ने क्या कहा?


पिछले पांच साल के आंकड़ों को लोकसभा में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि 5 सालों से बैंकों में फंसे लोन को आरबीआई के दिशा-निर्देशों के मुताबिक बट्टे खाते में ट्रांसफर कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि लोन राइट ऑफ करने के बाद भी लेनदारों से रकम वापस लेने की प्रक्रिया चलती रहती है. जवाब में कहा गया है कि ऐसे लेनदार जिनका लोन राइट ऑफ किया गया है, उनसे पिछले पांच सालों में एक लाख करोड़ से ज़्यादा की वसूली हो चुकी है.


रिकवरी लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया


सीतारमण ने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए कर्ज सहित एनपीए खातों में रिकवरी एक लगातार जारी रहने वाली प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान बट्टे खाते में डाले गए ऋणों से 1,03,045 करोड़ रुपये सहित 4,80,111 करोड़ रुपये की वसूली की है.


भुगतान के लिए उत्तरदायी कौन?


वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये की राशि बट्टे खाते में डाली है." उन्होंने कहा कि बट्टे खाते (Write off) में डाले गए लोन के कर्जदार भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे. बैंकों में मौजूद अलग-अलग रिकवरी सिस्टम के माध्यम से रकम वसूली की कार्रवाई को जारी रखा है.


लोन वसूली के लिए कैसे होती है कार्रवाई?


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस कार्रवाई में सिविल कोर्ट या लोन रिकवरी ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर करना, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) के तहत मुकदमा करने जैसे उपायों की सहायता ले सकते हैं. इसके अलावा एनपीए की बिक्री करके भी लोन की रिकवरी की जा सकती है. ऐसे में राइट-ऑफ से उधारकर्ताओं को फायदा नहीं होता है.


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