नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंताजनक है. उन्होंने मंदी की भी वजह बताई. जब मनमोहन सिंह के बयान को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा गया तो उन्होंने साफ-साफ कुछ नहीं कहा.


सीतारमण से जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, ''क्या डॉ. मनमोहन सिंह कह रहे हैं कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना में लिप्त होने के बजाय समझदार लोगों से बातचीत कर रास्ता निकालना चाहिए? क्या उन्होंने ऐसा कहा? ठीक है, धन्यवाद, मैं इस पर उनकी बात सुनूंगी. यही मेरा जवाब है.''


जब वित्त मंत्री से पूछा गया कि अर्थव्यवस्था मंदी से जूझ रही है, क्या सरकार मंदी की बात स्वीकार कर रही है? तो उन्होंने जवाब दिया, ''मैं उद्योग प्रतिनिधियों से मिल रही हूं और उनकी समस्याएं सुन रही हूं और सरकार से वे क्या चाहते हैं, इस पर सुझाव ले रही हूं. मैं पहले ही ऐसा दो बार कर चुकी हूं. मैं और ऐसा कई बार करूंगी.''


मनमोहन सिंह ने क्या कहा है?
अर्थव्यवस्था की हालत को ‘बहुत चिंताजनक’ बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार से अनुरोध किया कि वह ‘बदले की राजनीति’ को छोड़े और अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकलने के लिए सही सोच-समझ वाले लोगों से संपर्क करे. उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी में जल्दबाजी को मानव रचित संकट बताया है.


कांग्रेस नेता का कहना है कि यह आर्थिक नरमी मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन की वजह से है. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘वर्तमान में अर्थव्यवस्था की हालत बहुत चिंताजनक है. पिछली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि मात्र 5 प्रतिशत तक सीमित रहना नरमी के लम्बे समय तक बने रहने का संकेत है. भारत में तेजी से वृद्धि की संभावनाएं हैं लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के कारण यह नरमी आयी है.’’


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सिंह ने कहा कि देश के युवा वर्ग, किसान, खेतीहर मजदूर, उद्यमी और वंचित तबके को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत इस रास्ते और आगे नहीं बढ़ सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह बदले की राजनीति बंद करें और अर्थव्यवस्था को इस मानवरचित संकट से बाहर निकालने के लिए सही सोच-समझ के लोगों से सलाह ले.’’ सिंह ने कहा कि खास तौर से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर का केवल 0.6 प्रतिशत रहना बिशेष रूप से चिंताजनक है.


'नहीं जाएगी नौकरी'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्ताविl विलय से कर्मचारियों की नौकरी जाने के खतरे की चिंता को खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि विलय के इन निर्णयों से किसी एक कर्मचारी की भी नौकरी नहीं जाएगी.


सीतारमण ने कहा, ''यह बिल्कुल तथ्यहीन बात है. मैं इनमें से हर बैंक की सभी यूनियनों और लोगों को यह आश्वस्त करना चाहती हूं कि वे शुक्रवार को मेरी कही गयी बात को याद करें. जब हमने बैंकों के विलय की बात की तो मैंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा. किसी को भी नहीं.'' सीतारमण ने शुक्रवार को दस सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा की थी.