नई दिल्ली: साल 2025 तक मोदी सरकार बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश करेगी. इसके लिए एक राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन लॉन्च की गई है जिसमें निवेश का पूरा ख़ाका दिया गया है. जिन परियोजनाओं में निवेश का लक्ष्य है उनमें ज़्यादातर ऊर्जा, रेलवे, शिक्षा, सिंचाई, शहरी विकास और डिजिटल क्षेत्र से जुड़ी हैं.


देश में आर्थिक विकास को गति देने के मकसद से मोदी सरकार ने इस बड़े कदम का ऐलान किया है. इस साल स्वतंत्रता दिवस को लालकिले से दिए पीएम मोदी के ऐलान को अमल में लाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन लॉन्च किया. इसके मुताबिक़ 2025 तक अलग-अलग परियोजनाओं में मोदी सरकार 105 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी. ये ख़र्च ज़्यादातर ऊर्जा, सड़क निर्माण, रेलवे, सिंचाई और शहरी विकास से जुड़े हैं.


इन परियोजनाओं को अगले 5 सालों में शुरू या पूरा किया जाएगा. सबसे ज़्यादा प्रोजेक्ट की पहचान ऊर्जा क्षेत्र में की गई है. वित्तीय वर्ष 2020-25 के बीच इस क्षेत्र में पांच सालों में 2,454,249 करोड़ रूपए निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इनमें 11.75 लाख करोड़ बिजली के क्षेत्र में, 9.29 लाख करोड़ नवीनीकरणीय ऊर्जा पर और 1.94 लाख करोड़ रूपए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में निवेश किया जाएगा. इसी तरह सड़क निर्माण के क्षेत्र में 19.63 लाख करोड़ जबकि रेलवे में 13.68 लाख करोड़ रूपये निवेश किया जाएगा. शहरी और आवास के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश करने का खाका तैयार किया गया है. इस क्षेत्र में 16.30 लाख करोड़ रूपए के निवेश का लक्ष्य है. सिंचाई के क्षेत्र में भी 7.72 लाख करोड़ रूपए का निवेश किया जाएगा. कुल निवेश के लक्ष्य का क़रीब 80 फ़ीसदी इन्हीं पांच क्षेत्रों में ख़र्च किया जाएगा.


केंद्र सरकार के 22 मंत्रालयों और विभागों से जुड़ी ये परियोजनाएं 18 राज्यों में क्रियान्वित होंगी. हालांकि इनमें से 42 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं ऐसी हैं जो क्रियान्वयन के स्टेज पर पहुंच चुकी हैं. यानि इनपर काम शुरू हो चुका है. जबकि बाकी अभी अवधारणा या प्रक्रिया के स्तर पर हैं. जो निवेश होगा उनका 39 फ़ीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी जबकि इतना ही हिस्सा उन राज्यों को वहन करना है जिनमें ये काम होने हैं. बाक़ी का 22 फ़ीसदी निवेश प्राइवेट सेक्टर से आने का अनुमान लगाया गया है.


हालांकि, पिछले अनुभव बताते हैं कि ऐसे कई प्रोजेक्ट में प्राइवेट सेक्टर की रुचि काफी कम होती है लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आशान्वित हैं. सीतारमण के मुताबिक, "प्राइवेट सेक्टर ख़ुद इनमें हिस्सा लगाने का इच्छुक है. हमें उम्मीद है कि प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी धीरे-धीरे 30 फ़ीसदी तक पहुंच जाएगी.'' सरकार को उम्मीद है कि इन परियोजनाओं के ज़मीन पर उतरने से आर्थिक विकास दर को गति मिलने के साथ-साथ रोजगार सृजन में मदद मिलेगी जिससे बाजार में मांग भी बढ़ेगी.