अर्थव्यवस्था पर विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना तो सीतारमण बोलीं- सभी फैसले देश हित में हैं
राज्यसभा में कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 8 नवंबर 2016 को लिया गया नोटबंदी का फैसला देश के लिए घातक साबित हो रहा है और उसी का असर आज पूरे देश में देखने को मिल रहा है.
नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज देश के आर्थिक हालात बहुत खराब हैं और इस सब के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है. विपक्षी दलों ने यह बात राज्यसभा में देश की अर्थव्यवस्था को लेकर हुई चर्चा के दौरान कही. विपक्षी दलों के एक के बाद एक सांसदों ने सरकार के ऊपर देश की ख़राब होती अर्थव्यवस्था का ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि सरकार कहती है सब ठीक है लेकिन हालात यह हैं कि आज कोई भी सेक्टर इस बदहाली से छूटा नहीं है.
देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के खराब हालातों पर राज्यसभा में जब चर्चा शुरू हुई उसकी शुरुआत सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने की. आनंद शर्मा ने कहा, " देश का जीडीपी लगातार घट रहा है, फैक्ट्रियां बंद हो रही है, युवाओं के पास रोजगार नहीं है, रोजगार के अवसर घट रहे हैं, किसान परेशान है, देश में अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है हालात ये हैं कि पिछले 5 सालों में देश के एक फीसदी अमीरों की संपत्ति 40 फीसदी से बढ़कर से 60 फीसदी पर जा पहुंची है.''
आनंद शर्मा ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 8 नवंबर 2016 को लिया गया नोटबंदी का फैसला देश के लिए घातक साबित हो रहा है और उसी का असर आज पूरे देश में देखने को मिल रहा है. आज के जो आर्थिक हालात है वह केवल स्लोडाउन नहीं है देश बहुत ही गहरे आर्थिक संकट की तरफ बढ़ चला है.
आनंद शर्मा ने सरकार पर आंकड़ों के छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एनएसएसओ के डाटा को रोका जाता है, बेरोजगारी और उपयोग उपभोग के डाटा को दबाया जा रहा है. आनंद शर्मा ने इसके साथ ही जीएसटी के लागू करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जीएसटी जल्दबाजी में लाया गया. जीएसटी की दरों में अनेक बार बदलाव किया गया और सबसे जटिल जीएसटी देश पर थोपा गया.
वहीं शर्मा की बात का समर्थन करते हुए कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि नोटबंदी के चलते 87 फीसदी रकम को मार्केट से बाहर निकाल दिया गया. सरकार जीएसटी कंपनसेशन सेस के तहत राज्यों को दिया जाने वाला पैसा नहीं दे पा रही है. हालात यह हैं कि उस पैसे के लिए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखना पड़ रहा है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि, यह सूट बूट की सरकार है इनकी नीतियां सूट बूट वाली है.
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कांग्रेस के अलावा टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, "नोटबंदी से देश की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई. नोटबंदी के 8 दिनों बाद राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च भी किया था. हालत यह है कि आज की तारीख में राज्य सरकारों को जीएसटी का उनका हिस्सा भी नहीं मिल पा रहा. नौकरी नहीं है, और अलग-अलग उद्योग बुरी तरह प्रभावित है."
सरकार पर हमला बोलते हुए डेरेक ने कहा कि आप पर कौन विश्वास करे? न युवा कर पा रहा है, न उद्योगपति, न किसान. आज की तारीख में प्याज और टमाटर जैसी चीजों के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं.
वहीं आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने भी देश की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालत के लिए नोटबंदी और जीएसटी के फैसले को जिम्मेदार बताया. संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार 2 महीने से राज्यों के जीएसटी कंपनसेशन सेस का भुगतान नहीं कर रही. सरकार एक के बाद एक सरकारी कंपनियों को बेच रही है. रेलवे की कंपनी कॉनकॉर का विनिवेश किया जा रहा और अब सेल-भेल को भी बेच दिया जाएगा.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए संजय सिंह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधा. संजय सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री कहती है ओला उबर के चलते ऑटो सेक्टर में गिरावट आई तो फिर ट्रक क्यों नहीं बिक रहे हैं!!
इसके साथ ही डीएमके के सांसद टी के एस एलंगोवन ने अर्थव्यवस्था की हालत पर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "इस सरकार की प्राथमिकता विकास नहीं बल्कि देश बदलने का है. सरकार महत्वपूर्ण डाटा को छुपाती है, उनको सार्वजनिक नहीं करती." वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने अर्थव्यवस्था के खराब हालातों का ज़िक्र करते हुए एक बार फिर मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को जिम्मेदार ठहराया.
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विपक्षी सांसदों का जवाब देते हुए सदन में मौजूद बीजेपी और एनडीए के सांसदों ने कहा कि मौजूदा हालात सिर्फ ऐसा नहीं है कि हमारे देश में ही खराब हो रहे हैं दुनिया भर में आर्थिक मंदी की मार है. लेकिन फिर भी हमारे देश में हालात इस वजह से दुनिया भर के अधिकतर देशों से बेहतर है क्योंकि मोदी सरकार ने इस ओर वक्त रहते ही प्रभावी कदम उठाए हैं.
सत्तापक्ष से जुड़े सांसदों का यह भी कहना था की 2014 में मोदी सरकार 1 जब सत्ता में आई तो देश के आर्थिक हालात कहीं ज्यादा खराब थे और उनको सुधारने का प्रयास निरंतर जारी है. कई ऐसे सेक्टर से जो उस दौरान पूरी तरह डूबे हुए थे लेकिन अब वो सेक्टर पहले की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में है.
चर्चा के आखिरी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की आर्थिक हालातों पर उठे सवालों पर जवाब दिया. निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने जो फैसले लिए वह देश हित में लिए है. आर्थिक विकास दर में भले ही गिरावट आई हो लेकिन यह रिसेशन नहीं है, मंदी नहीं है. यूपीए के कार्यकाल में जहां महंगाई दर 10.3 फीसदी था वहीं एनडीए के कार्यकाल में 4.5 फीसदी रहा. इसी तरह से यूपीए के कार्यकाल में खाद्य महंगाई दर 11 फीसदी था जबकि हमारे कार्यकाल में 3 फीसदी था.
सीतारमण ने कहा कि विदेशी कर्ज जीडीपी के अनुपात में घटा है. रही बात बैंक कर्ज को राइटऑफ करने की तो राइटऑफ करने का मतलब कर्ज का माफ करना नहीं है बल्कि कर्ज की वसूली की जाएगी. मोदी सरकार ने देश में आर्थिक सुधार के फैसले लिए जिसके तहत 10 बैंकों का विलय 4 बैंकों में किया गया. 2014 से 2019 जो जीडीपी घटा वो ट्विन बैलेंस शीट की वजह से हुआ. वहीं एनपीए के चलते निजी निवेश प्रभावित हुआ. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स घटाया तो हमें कहा जा रहा है कि सूट बूट की सरकार है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन किसने किया आखिर क्यों किया? रही बात ऑटो सेक्टर में दिक्कत की तो जो दिक्कत है वह इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2020 से भारत स्टेज 6 को लागू करने को आदेश दिए हैं.
इस सबके बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेसी सांसद आनंद शर्मा के बीच नोकझोंक भी हुई और वित्त मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस ने राज्यसभा से वॉकआउट भी कर दिया. हालांकि इस चर्चा के शुरू होने से पहले राज्यसभा में एक वक्त ऐसा भी था जब यह चर्चा शुरू ही नहीं हो पा रही थी क्योंकि राज्यसभा यह कार्रवाई चलाने के लिए जितने न्यूनतम सांसदों की संख्या जरूरी होती है उतने सांसद भी वहां मौजूद नहीं थे. जिसके बाद राज्यसभा में उपस्थिति के लिए अलार्म बेल बजाई गई और जब न्यूनतम सांसदों की संख्या पूरी हुई तब यह चर्चा शुरू हुई.
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