नई दिल्ली: वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि कालेधन की जब्ती के लिये देश और देश के बाहर सरकार द्वारा गंभीर और सतत प्रयास किये जा रहे हैं. हालांकि विदेशों में जमा कालेधन के बारे में अभी कोई सटीक अनुमान नहीं है. गोयल ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कालेधन पर मोदी सरकार के वादे से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह बात कही.
कांग्रेस के वी पी रामचंद्र राव ने पूछा था कि प्रधानमंत्री ने विदेशों में जमा कालाधन वापस लाकर देश के नागरिकों में इसे वितरित करने का वादा किया था. इस दिशा में क्या कार्रवाई की गयी. कितनी कालेधन की जब्ती के रूप में राशि स्वदेश वापस लायी जा सकी है और इसे रुपये में तब्दील कर कितने लोगों के खातों में जमा कराया गया.
गोयल ने कहा, सरकार को जहां कहीं भी कालेधन की जानकारी मिलती है, उसे तत्काल जब्त किया जाता है. लेकिन 2014 में इस सरकार के गठन के बाद बेनामी संपत्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गयी. जिसका नतीजा आयकर दाताओं की संख्या और आयकर वसूली की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी है.
वित्त मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम लिये बिना कहा कि एक पूर्व प्रधानमंत्री का प्रसिद्ध वक्तव्य है कि सरकार द्वारा एक रुपया देने पर लाभार्थी तक मात्र 15 पैसे पहुंच पाते हैं. गोयल ने इसे कालेधन से जोड़ते हुये कहा कि इस 'लीकेज' को रोकने के लिये मौजूदा सरकार द्वारा किये गये प्रयासों का ही नतीजा है कि सरकारी योजनाओं के तहत लाभार्थी के खातों में चार लाख करोड़ रुपये जमा कराये गये.
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कालेधन के आंकलन के बारे में गोयल ने कहा कि इसके लिये सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में ही विशेष कार्यबल (एसआईटी) का गठन किया था. एसआईटी इस दिशा में लगातार काम कर रही है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि विदेशों में भारतीयों द्वारा छुपाकर रखे गये कालेधन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. फिर भी, सरकार ने देश के भीतर और बाहर, अन्य बातों के साथ-साथ बेहिसाबी आय और संपत्ति के अनुमान के लिये गठित अध्ययन दल की रिपोर्ट वित्त संबंधी स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के लिये लोकसभा सचिवालय को भेज दी है.