CBI के विशेष निदेशक के खिलाफ FIR, राहुल गांधी बोले- PM मोदी के चहेते घूसखोरी में पकड़े गए
CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि गोधरा एसआईटी फेम, सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले गुजरात कैडर के अधिकारी और पीएम के चहेते अब घूसखोरी के मामले में पकड़े गए हैं.
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई खुद सवालों के घेरे में आ गई है. सीबीआई के अधिकारी एक दूसरे के उपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. मामला अब एफआईआर तक पहुंच गया है. सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक यानी नंबर दो का ओहदा रखने वाले राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है. राकेश अस्थाना पर रिश्वत लेने का आरोप लगा है, जिसके बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया है. इससे पहले अस्थाना ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा पर घूस लेने के आरोप लगाए थे.
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, अंदरुनी लड़ाई को लेकर सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) नाराज है. सूत्रों के मुताबिक, एफआईआर का मामला कोर्ट में जा सकता है.
राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है. राहुल गांधी ने आज ट्वीट कर कहा, ''गोधरा एसआईटी फेम, सीबीआई में नंबर दो पद पर घुसपैठ करने वाले गुजरात कैडर के अधिकारी और पीएम के चहेते अब घूसखोरी के मामले में फंस गए हैं. इस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में सीबीआई राजनीतिक बदले की कार्रवाई का हथियार बन गई है. अंदरुनी लड़ाई की वजह से संस्था गिरावट की ओर है.''
The PM’s blue-eyed boy, Gujarat cadre officer, of Godra SIT fame, infiltrated as No. 2 into the CBI, has now been caught taking bribes. Under this PM, the CBI is a weapon of political vendetta. An institution in terminal decline that’s at war with itself. https://t.co/Z8kx41kVxX
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 22, 2018
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सीबीआई के बहाने कांग्रेस और मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''कांग्रेस के शासनकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता बताया था. मोदी सरकार ने कांग्रेस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. आज राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. मोदी सरकार ने सीबीआई को राष्ट्रीय शर्म में बदल दिया है.''
During the Congress rule the Supreme Court had termed the CBI a caged parrot, Modi govt has surpassed the Cong record and in its greed to victimise political opponents, Modi govt has turned the CBI into a national disgrace
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 22, 2018
राकेश अस्थाना पर क्या है आरोप? एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कारोबारी मोईन कुरैशी से जुड़े एक मामले में जिस एक आरोपी के विरुद्ध राकेश अस्थाना जांच कर रहे थे, उससे उन्होंने रिश्वत ली. दो महीने पहले अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ यही शिकायत की थी. सीबीआई ने सतीश साना की शिकायत के आधार पर विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. मांस कारोबारी मोईन कुरेशी की कथित संलिप्तता से जुड़े 2017 के एक मामले में जांच का सामना कर रहे साना ने आरोप लगाया कि अस्थाना ने उसे क्लीनचिट दिलाने में कथित रुप से मदद की.
आलोक वर्मा के खिलाफ राकेश अस्थाना ने की थी शिकायत सरकारी सूत्रों के अनुसार अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए थे. इसी पत्र में यह भी आरोप लगाया गया था कि साना ने इस मामले में क्लीनचिट पाने के लिए सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपये दिये. सूत्रों के अनुसार यह शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास भेजी गयी जो इस मामले की जांच कर रहा है. सीबीआई ने अपने निदेशक आलोक वर्मा का विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आरोपों से बचाव करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप ‘मिथ्या और दुर्भावनापूर्ण’ हैं.
फोन कॉल और मैसेज के आधार पर FIR
सीबीआई ने दावा किया है कि राकेश अस्थाना के खिलाफ कथित रिश्वत मामले में बिचौलिए मनोज प्रसाद के पकड़े जाने के बाद उसने नौ फोन कॉल की जांच की है. उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी ने व्यापारी सतीश साना के दावे पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उसका दावा है उसे लगातार आने वाले समन से राहत और मामले से क्लीन चिट मिलने के लिए दुबई के इंवेस्टमेंट बैंकर मनोज प्रसाद ने पांच करोड़ रूपए की मांग की थी.
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जबकि अस्थाना ने दो माह पहले कैबिनेट सचिव को सूचित किया था कि साना ने मामले में राहत पाने के लिए सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को दो करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी. एक अधिकारी ने दावा किया कि सीबीआई ने जो कॉल डेटा का विश्लेषण किया है उसके अनुसार अस्थाना और अन्य एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के बीच कथित तौर पर फोन पर बातचीत हुई थी जो जानकारियों की पुष्टि करना चाहते थे, बिचौलिए और वरिष्ठ अधिकारी, बिचौलिए की पत्नी, वरिष्ठ अधकारी तथा अन्य के संबंध में जानना चाहते थे. सूत्रों का दावा है कि कॉल डेटा रिकॉर्ड से पता चलता है कि अस्थाना और वरिष्ठ अधिकारी के बीच 17अक्टूबर 2018 को चार बार फोन कॉल हुईं थीं.
16 अक्टूबर को गिरफ्तार हुआ था मनोज सीबीआई ने बिचौलिया समझे जाने वाले मनोज प्रसाद को भी 16 अक्टूबर को दुबई से लौटने पर गिरफ्तार किया था. गुजरात बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना उस विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई कर रहे हैं जो अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले और भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या द्वारा की गयी वित्तीय धोखाधड़ी जैसे अहम मामलों को देख रहा है. यह दल मोईन कुरैशी मामले की भी जांच कर रहा है.
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अस्थाना ने प्राथमिकी दर्ज होने के चार दिन बाद केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को फिर लिखा कि वह साना को गिरफ्तार और पूछताछ करना चाहते हैं और इस संबंध में 20 सितंबर, 2018 को निदेशक को एक प्रस्ताव भेजा गया था. अपने पत्र में उन्होंने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को लिखी अपनी चिट्ठी का भी हवाला दिया जिसमें निदेशक के खिलाफ कथित अनियमितताओं का ब्योरा दिया गया है.
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि निदेशक ने करीब चार दिनों तक फाइल कथित रुप से रखी और 24 सितंबर, 2018 को उसे अभियोजन निदेशक (डीओपी) के पास भेजने का निर्देश दिया. अभियोजन निदेशक ने रिकॉर्ड में मौजूद सभी सबूत मांगे. सूत्रों के अनुसार अस्थाना की अगुवाई वाली टीम ने ही साना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर खोला जिसने देश से भागने की कोशिश की लेकिन सक्रिय कार्रवाई की वजह से वह नहीं भाग सका.
सूत्रों के मुताबिक अस्थाना ने कहा है यह फाइल डीओपी द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर के साथ फिर तीन अक्टूबर को सीबीआई निदेशक के समक्ष फिर रखी गयी लेकिन अबतक यह नहीं लौटी है. सूत्रों ने अस्थाना की बातों का हवाला देते हुए कहा कि साना से एक अक्टूबर, 2018 को पूछताछ की गयी थी , पूछताछ के दौरान साना ने बताया कि वह एक नेता से मिला जिसने वर्मा से मुलाकात करने के बाद उसे आश्वासन दिया कि इस मामले में उसे क्लीनचिट दे दी जाएगी.
अस्थाना के अलावा एजेंसी ने पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार और मनोज प्रसाद, कथित बिचौलिये सोमेश प्रसाद और अन्य अज्ञात अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया है. उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात, 13(2) और 13 (1) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात-ए भी लगाई गई है. सीबीआई ने सूचित किया कि इन धाराओं में किसी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेने के जरूरत नहीं होती.