गर्मी बढ़ने के साथ आग से धधकने लगे हिमाचल के जंगल, शिमला में तारा देवी के जंगलों में लगी आग ने लिया विकराल रूप
गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.
हिमाचल प्रदेश में गर्मी बढ़ते ही वनों की आग लगने के मामलों में भी इजाफा हो गया है. राजधानी शिमला के आसपास के जंगल आग से धधक रहे है. शिमला कालका -राष्ट्रीय राजमार्ग में तारा देवी के जंगल पूरी तरह से आग से घिर गया है. आग सड़क तक पहुंच गई है और चारों तरफ धुंए का गुबार उठ रहा है.
पिछले 24 घंटे से ये आग लगी हुई है जिसको अभी तक काबू नही किया जा सका है. धुंए की वजह से वाहन चालकों को भी गाड़ियां चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वन विभाग के साथ अग्निश्मन विभाग की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी है. लेकिन आग काफी फैल चुकी है जिसकी वजह से आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
आग पर नहीं पाया जा सका है काबू
आग बुझाने पहुंचे अग्निशमन के कर्मी ने बताया कि कल से तारा देवी के जंगल में आग लगी हुई है जो काफी फैल चुकी है. आग को बुझाने के लिए दो तीन फायर टेंडर लग चुके है बावजूद इसके आग अभी भी काबू नही हुई है. शिमला के आसपास ही 10 जगहों में आग लगी हुई है. अग्निशमन विभाग को लगातार आग लगने की सूचनाएं मिल रही हैं. जिसको बुझाने की कोशिश की जा रही है.
गर्मियों के मौसम में हिमाचल प्रदेश में करोड़ों की वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. कई जीव जंतु अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. पहाड़ में कई क्षेत्र ऐसे है जहां तक गाड़ियां नही पहुंच पाती है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में आग से जंगलों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.
आगजनी की घटनाओं में हो रही है बढ़ोतरी
हिमाचल में पिछले साल यानी 2022 में 1223 आग की घटनाएं सामने आई हैं. पिछले कुछ वर्षां में आगजनी की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वन विभाग के आंकडों के अनुसार जहां वर्ष 2015-16 में 672 घटनाओं में 5,750 हैक्टेयर वन भूमि को क्षति पहुंची थी, वहीं वर्ष 2016-17 में 1,832 आग की घटनांए दर्ज की गई थी.
इसी तरह 2017-18 में 1,164 और 2019-20 में 1,445 और 2020-21 में 1,027 घटनाएं दर्ज की गई थी. हाल के वर्षों में जंगलों में लगने वाली आग की घटनाएं काफी ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2050 तक ऐसी घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएंगी.
लाउडस्पीकर को लेकर राज ठाकरे पर जमकर बरसे रामदास अठावले, कहा - उल्टा-सीधा बोलना बंद करें