सीबीआई घूसकांड में पहला आरोप पत्र पेश, सीबीआई अधिकारियों को क्लीन चिट, कोर्ट करेगा अंतिम फैसला
सीबीआई घूसकांड मामले में सीबीआई ने अपना पहला आरोप पत्र पेश कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए 12 फरवरी से पहले आरोपपत्र पेश करने के लिए कहा था जिसके बाद सीबीआई ने पहला आरोप पत्र सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया है.
नई दिल्ली: सीबीआई घूसकांड में दिल्ली हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद सीबीआई ने आज इस मामले में अपना पहला आरोप पत्र दिल्ली की विशेष सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश किया है. इस आरोप पत्र में दुबई के व्यवसायी और कथित मिडिलमैन मनोज प्रसाद का नाम आरोपी के तौर पर दिया गया है. सीबीआई का कहना है कि इस मामले में मनोज प्रसाद के दो सहयोगियों की जांच अभी जारी है.
कोर्ट कल लेगा संज्ञान
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक आरोप पत्र में सीबीआई के अधिकारियों पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ अब तक कोई भी सबूत ना मिलने की बात कही गई है. दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत इस मामले में बुधवार को संज्ञान लेगी. साथ ही इस मामले में बुधवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई होनी है.
सीबीआई के एसपी सतीश डागर आज अपनी टीम के साथ सीबीआई की विशेष अदालत पहुंचे. जहां विशेष सीबीआई जज संतोष मान मौजूद नहीं थीं. इसके बाद वह उनके लिंक जज संजीव अग्रवाल की कोर्ट में गए. जहां उन्होंने सीबीआई घूस कांड मामले में अपना आरोप पत्र कोर्ट के सामने पेश किया.
हैदराबाद के व्यवसायी का भी नाम आया सामने
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने जांच के दौरान पाया है कि मनोज प्रसाद और उसके सहयोगी कथित तौर पर सीबीआई के कई बड़े अधिकारियों को जानने का दावा करते थे. इसी दावेदारी के साथ वह हैदराबाद के व्यवसायी सतीश सना बाबू के टच में आए थे. आरोप है कि उन्होंने सतीश सना बाबू का मामला तय कराने के बदले पांच करोड़ की रिश्वत मांगी.
इस मामले में सतीश सना बाबू ने आरोप लगाया था कि उसने इस बाबत तीन करोड़ की रिश्वत पेमेंट भी कर दी है. सीबीआई ने इस मामले में 15 अक्टूबर 2018 को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम समेत कई अपराधिक धाराओं के तहत एक मुकदमा दर्ज किया था. जिसमें उसने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत डीएसपी देवेंद्र को भी आरोपी बनाया था. जिसके बाद सीबीआई में राजनीति गर्म हो गई थी और राकेश अस्थाना ने साफ तौर पर कहा था कि तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा उन्हें दुश्मनी के तहत फंसा रहे हैं.
सीबीआई में भी हुआ था फेरबदल
इस मामले के चलते सीबीआई में भारी फेरबदल हुआ था और आलोक वर्मा को भी समय से पहले ही अपना पद छोड़ना पड़ा. एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सीबीआई से राकेश अस्थाना समेत कई अधिकारियों को बाहर कर दिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा था, "यदि 12 फरवरी के पहले सीबीआई इस मामले में अपना आरोप पत्र पेश नहीं कर पाती है तो इस बाबत सीबीआई निदेशक को कोर्ट के सामने पेश होना होगा." जिसके बाद आनन-फानन में सीबीआई ने इस मामले में पहला आरोप पत्र कोर्ट के सामने पेश कर दिया.
42 गवाहों के बयान धारा 161 के तहत दर्ज किए गए
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस आरोप पत्र में 76 गवाह रखे गए हैं. जिनमें से लगभग 42 गवाहों के बयान धारा 161 के तहत दर्ज किए गए हैं. सूत्रों ने अनुसार आरोप पत्र में 300 से ज्यादा पेज हैं. जांच के दौरान पाया गया कि प्रसाद बंधुओ के मोबाइल फोन के डाटा की इंक्वायरी के दौरान यह कहीं भी साबित नहीं हो सका कि सीबीआई के बड़े अधिकारी इन लोगों के टच में थे.
सीबीआई का यह भी कहना है कि इस मामले में अभी सोमेश प्रसाद और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ जांच जारी है. क्योंकि इस मामले में दुबई को कुछ लेटरोगेटरी भेजी गई थी. लेकिन इन लेटरोगेटरी का कोई जवाब अभी सीबीआई को नहीं मिला है. एक तरह से माना जाए तो सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में सीबीआई के अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी है, लेकिन इस पर अंतिम फैसला कोर्ट को ही लेना है. राऊज एवेन्यू की विशेष सीबीआई अदालत इस आरोपपत्र पर बुधवार को संज्ञान ले सकती है. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में भी बुधवार को ही इस मामले में सुनवाई होनी है. सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के भाग्य का फैसला भी यह सुनवाई करेगी.