नई दिल्ली: देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस के नाम की घोषणा आज हो सकती है. नए सीडीएस को 31 दिसंबर को पदभार संभालना है. वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का नाम रेस में सबसे आगे है. 15 अगस्त 2019 को पीएम मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने की बात कही थी. 24 दिसंबर को आधिकारिक तौर से सीडीएस बनाने की घोषणा कर दी. सीडीएस 65 साल की उम्र तक अपने पद पर रह सकते हैं.


रक्षा मंत्रालय ने नौसेना, वायुसेना और थल सेना के सर्विस रूल में ये बदलाव किया है. अभी सेना प्रमुख 62 साल या तीन साल के कार्यकाल, दोनों में से जो पहले आता हो उस समय तक अपने पद पर रह सकते हैं. बताया जा रहा है कि किसी सेना प्रमुख को सीडीएस बनाए जाने पर आयु सीमा का नियम आड़े न आए इसलिए रक्षा मंत्रालय ने सर्विसेस के नियमों में सुधार किया है. इससे संकेत मिल रहे हैं कि जनरल बिपिन रावत देश के पहले CDS हो सकते हैं.


सीडीएस फॉर स्टार जनरल होगा और वो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेगा और सरकार (राजनैतिक नेतृत्व) को सैन्य मामलों पर सलाह देगा. सरकार ने साफ कर दिया कि सीडीएस सीधे तौर से थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कमांड और यूनिट्स को कंट्रोल नहीं करेगा. लेकिन उसके अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे. फिलहाल अंडमान निकोबार कमांड ही ट्राई-सर्विस कमांड है जो अब सीडीएस के अंतर्गत काम करेगा. इसके अलावा, हाल ही में तीनों सेनाओं के स्पेशल फोर्सेंज़ की ऑपरेशन डिवीजन (आर्मर्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशन्स डिवीजन) और डिफेंस साईबर एजेंसी सहित स्पेस एजेंसी अब सीडीएस के मातहत काम करेंगी.


हालांकि इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीडीएस बनाने की घोषणा कर दी थी, लेकिन इस पद को बनाए जाने की घोषणा आज की मैराथन बैठक के बाद हुई. सीडीएस का पद कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानि सीसीएस की मंजूरी के बाद हुई है. लेकिन पहले सीडीएस की घोषणा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री वाली कैबिनट कमेटी ऑन अपॉइंटमेंट (एसीसी) को करनी है.


कैबिनेट मीटिंग के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि "सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद बनाए जाने की मंजूरी दे दी है, जो फॉर स्टार जनरल होगा और उनकी सैलरी तीनों सेनाओं के प्रमुखों के बराबर होगी. सीडीएस, रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत बनाए जाने वाले नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के प्रमुख (सेक्रेटरी) होंगे."


सीडीएस सैन्य मामलों से जुड़े मुद्दे देखेंगे
पीएम की घोषणा के बाद ही सरकार ने एनएसए अजीत डोवाल के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी जिसने 90 दिन के अंदर सीडीएस की भूमिका, चार्टर और सरकार में उसकी भूमिका पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. उसके बाद ही मंगलवार को सीडीएस के पद की घोषणा की गई. सीडीएस सरकार/रक्षा मंत्री का उन मामलों पर प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर होगा जो तीनों सेनाओं से जुड़े हुए साझा मामले होंगे.


हालांकि तीनों सेनाओं (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) के प्रमुख पहले की ही तरह रक्षा मंत्री को ही रिपोर्ट करेंगे. सरकार ने साफ कर दिया है कि सीडीएस सैन्य मामलों से जुड़े मुद्दे देखेंगे जबकि देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की ही होगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ये देश के हायर डिफेंस मैनेजमेंट में एक सुधार की तरह है.


सीडीएस की नियुक्त का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है. सीडीएस तीनों सेनाओं के ऑपरेशन्स, लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट, ट्रेनिंग, कम्युनिशेंस इत्यादि के बीच एकीकरण का काम करेगें. साथ ही सेनाओं के आधुनिकिकरण में भी सीडीएस की मुख्य भूमिका होगी.


सीडीएस की सेनाओं के फाइव ईयर डिफेंस एक्युजेशन प्लान यानि सेनाओं के पांच साल के रक्षा बजट को भी लागू करने में अहम भूमिका होगी. भविष्य में सीडीएस तीनों सेनाओं के साझा 'थियेटर कमांड' बनाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सैन्य सलाहकार के रूप में भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ काम करेंगे.


नरेन्द्र मोदी तीनों सेनाओं के एकीकरण पर जोर दे रहें हैं
साल 2014 में बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में सीडीएस बनाने को मुख्य तौर से अपने एजेंडे में रखा था. प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेन्द्र मोदी तीनों सेनाओं की ज्वाइंटनेस यानि एकीकरण पर जोर दे रहें हैं. साल 2015 में एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य पर तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों के सम्मेलन, कम्बाइंड कंमार्डर्स कांफ्रेंस में पीएम मोदी ने एकीकरण को लेकर अपना विजन साफ कर दिया था. तभी से सीडीएस बनाने की तैयारियां शुरू हो गई थी. करगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रमणयम कमेटी रिपोर्ट ने पहली बार देश में सीडीएस बनाए जाने की सिफारिश की थी.‌ लेकिन पिछले 20 सालों से ये मामला लटका हुआ था. करगिल युद्ध के दौरान थलसेना और वायुसेना के बीच समन्वय की कमी देखने को मिली थी.