नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2022 तक अंतरिक्ष में अपना पहला मानवयुक्त यान भेजने की रूपरेखा तैयार कर ली है. योजना के मुताबिक़ 2022 तक भारत तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अपना पहला यान भेजेगा. इस योजना पर क़रीब दस हजार करोड़ रूपए ख़र्च होने का अनुमान है.


लालक़िले से पीएम ने किया था ऐलान


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालक़िले से इस योजना के बारे में ऐलान किया था. पीएम की इस घोषणा के महज 13 दिनों के भीतर इसरो ने देश के सामने अंतरिक्ष में भारत के पहले मानवयुक्त यान भेजने का पूरा ख़ाक़ा देश के सामने रख दिया. पीएम ने कहा था, ' 2022 में जब भारत अपनी आज़ादी के 75 साल पूरे करेगा तब देश का कोई बेटा या बेटी अंतरिक्ष में अपने क़दम रखेगा.’’


अंतरिक्षयान का नाम है 'गगनयान'


इस यान को ' गगनयान ' नाम दिया गया है.  15 अगस्त 2022 तक या उससे पहले ही गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य रखा गया है. लक्ष्य के मुताबिक़, पहली बार तीन अंतरिक्षयात्रियों को 5-7 दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. गगनयान को धरती की सतह से 300-400 किलोमीटर की दूरी वाले कक्षा में स्थापित किया जाएगा. मानवयुक्त गगनयान भेजने के पहले, फरवरी 2021 और मार्च 2022 में, दो मानवरहित गगनयान भी प्रयोग के तौर पर अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जीतेंद्र सिंह ने एबीपी न्यूज से कहा, ‘’पीएम ने लालक़िले से ऐलान किया है. ये हमारी बड़ी उपलब्धि होगी और तैयारी जल्द ही पूरी कर ली जाएगी .’’


2 से 3 साल होगी अंतरिक्षयात्रियों की ट्रेंनिंग


पूरे देश की नज़र इस बात पर होगी कि आख़िर भारत के अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष यान में वो कौन तीन लोग होंगे जिन्हें अंतरिक्ष में जाने का मौक़ा मिलेगा. इसरो के मुताबिक़ अबतक इस बात पर फ़ैसला नहीं हो पाया है. इसरो प्रमुख के. शिवम ने कहा, ' चूंकि भारत का ये पहला प्रयोग है लिहाज़ा कोशिश होगी कि कोई विशेषज्ञ ही अंतरिक्ष में भेजा जाए. पायलट या इंजीनियर जैसे लोग इसमें शामिल हो सकते हैं. लेकिन इसके बाद आम लोग भी इसमें जा सकेंगे.'' शिवम के मुताबिक़ चुने गए तीन लोगों को क़रीब दो से तीन साल की ट्रेनिंग दी जाएगी लिहाज़ा जल्द ही इन लोगों का चयन कर लिया जाएगा.


अबतक तीन देश हुए हैं क़ामयाब


अगर भारत अपने मिशन में क़ामयाब होता है तो ऐसा करने वाला वो दुनिया का मात्र चौथा देश हो जाएगा. अबतक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफ़लता पाई है. इसरो की योजना के मुताबिक़ 7 टन भार, 7 मीटर ऊंचे और क़रीब 4 मीटर व्यास के गोलाई वाले गगनयान को जीएसएलवी ( एमके 3 ) रॉकेट से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. प्रक्षेपित किए जाने के 16 मिनट बाद यान अपनी कक्षा में पहुंच जाएगा.  5-7 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद ये यान अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अरब सागर में गुजरात तट पर उतरेगा. हालांकि आपात स्थिति में बंगाल की खाड़ी और ज़मीन पर भी उतारने का विकल्प रखा जाएगा. अंतरिक्ष में तीनों यात्री गुरूत्वाकर्षण की सुक्ष्म क्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे.


2004 से शुरू हुई थी तैयारी


इसरो ने साफ़ किया है कि मानवयुक्त यान भेजने के लिए तैयारी जनवरी 2004 में ही शुरू कर दी गई थी और उसपर लगातार काम जारी है. इसरो का अनुमान है कि इस मिशन से क़रीब 15000 नये रोज़गार के अवसर पैदा होंगे.



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