नई दिल्ली: डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारत का एक सैन्य-दल चीन की आधिकारिक यात्रा पर जा रहा है. तीन सदस्यीय इस मिलिट्री-डेलीगेशन का नेतृत्व, सेना की पूर्वी कमान के कमांडिग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा कर रहे हैं. पूर्वी कमान के अंतर्गत ही सिक्किम का डोकलाम इलाका आता है जहां पर पिछले साल 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आ गई थीं. अगस्त महीने के दूसरे हफ्ते में ये प्रतिनिधिमंडल चीन जायेगा.


लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा के अलावा जो दो अधिकारी चीन की यात्रा पर जा रहे हैं, उनमें से एक उत्तरी कमान से है और दूसरा दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय से है. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य एलएसी यानि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय बिठाना और शांति कायम करना है.


उत्तरी कमान के अंतर्गत लेह-लद्दाख का वो इलाका आता है जो चीन से सटा हुआ है. इस दौरे से पहले साल 2015 में उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा चीन के दौरे पर गए थे.


सेना मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक थलसेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के नए दिशा-निर्देश के बाद चीन जाने वाले इस प्रतिनिधिमंडल को थोड़ा छोटा रखा गया है. क्योंकि हाल ही में जनरल बिपिन रावत ने सेना के अधिकारियों को अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कम से कम खर्च करने का आदेश दिया था. यही वजह है कि इस प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ तीन सैन्य अधिकारी ही रखे गए हैं.


गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही चीन का एक बड़ा सैन्य प्रतिनिधिनंडल भारत की यात्रा पर आया था. चीन की पीएलए सेना के इस दल में कुल 10 सदस्य थे. इस प्रतिनिधिनंडल ने पूर्वी कमान के कोलकता स्थित फोर्ट-विलियम्स मुख्यालय और 33वीं कोर के हेडक्वार्टर, सुकना का दौरा किया था और भारतीय सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (यानि) एलएसी पर शांति कायम रखी जा सके. इसके अलावा चीनी प्रतिनिधिमंडल ने सिलीगुड़ी-कोरिडोर के करीब भारतीय सेना की एक बोफोर्स-बैटरी का भी दौरा किया था.


इसी सिलीगुड़ी कोरिडोर की सुरक्षा को देखते हुए ही भारतीय सेना ने पिछले साल जून के महीने में डोकलाम में सड़क बनाने पहुंची चीनी सेना को रोक दिया था. डोकलाम चीन और भूटान के बीच विवादित इलाका है जो भारत की सीमा से सटा हुआ है. इसी ट्राइ-जंक्शन से सटा हुआ है सिलीगुड़ी कोरिडोर.