कोलकाताः राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने वाले लोक लेखा समिति (पीएसी) के नवनियुक्त अध्यक्ष मुकुल रॉय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ दिल्ली में होने के कारण शुक्रवार को हुई समिति की पहली बैठक से नदारद रहे. पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बोस ने हाल में मुकुल रॉय को विधानसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था.


मुकुल रॉय ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि वह पीएसी की बैठक में शरीक नहीं हो पाएंगे. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस के विधायक तापस रॉय ने बैठक की अध्यक्षता की.


नेता प्रतिपक्ष शुभेंदू अधिकारी ने कहा, ''इस व्यक्ति (रॉय) को सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए पीएसी अध्यक्ष बनाया गया और देखें कि वह पद को लेकर कितने गंभीर हैं. अध्यक्ष खुद पीएसी की पहली बैठक से अनुपस्थित रहे. यह मुकुल रॉय और सत्ताधारी पार्टी का असली रंग दिखाता है.''


मुकुल रॉय का बचाव करते हुए, टीएमसी नेतृत्व ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है, जो आपात स्थितियों के चलते मौजूद नहीं होने पर पीएसी की बैठक के दौरान अध्यक्ष की उपस्थिति को अनिवार्य बनाता हो.


कृष्णानगर उत्तर से आधिकारिक तौर पर भाजपा विधायक मुकुल रॉय पिछले महीने टीएमसी में शामिल हुए थे. भाजपा ने उन्हें विधायकी से इस्तीफा देने के लिये कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. टीएमसी नेता रॉय को लोक लेखा समिति के 20 सदस्यों के बीच से अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.


नंदीग्राम से भाजपा विधायक अधिकारी ने कहा, 'हमने छह विधायकों के नाम का प्रस्ताव रखा था. भाजपा ने कभी भी मुकुल रॉय के नाम की सिफारिश नहीं की. वह हाल में सार्वजनिक रूप से टीएमसी में शामिल हुए थे, लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया गया.'


अधिकारी ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि प्रख्यात अर्थशास्त्री व विधायक अशोक लाहिड़ी समिति का नेतृत्व करें. उन्होंने कहा, 'यह भ्रष्ट टीएमसी सरकार अपने चाटुकारों को शीर्ष पद के लिए चुने जाने के तरीके ढूंढती है.'


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