नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर कैसा होगा ? मंदिर कब से बनना शुरू होगा ?  क्या मंदिर विश्व हिंदू परिषद के मॉडल पर बनेगा ? हो सकता है आज इन बड़े सवालों के जवाब मिल जाए. श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक में इस पर चर्चा होगी. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में ट्रस्ट का ऑफिस बनाया गया है. सबसे पहले बाकी सदस्यों का चुनाव किया जाएगा. फिर सभी मेंबर ट्रस्ट के अध्यक्ष का नाम तय करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का धन्यवाद किया जाएगा.


अयोध्या की चली तो फिर राम मंदिर का भूमि पूजन राम नवमी को हो सकता है. 2 अप्रैल को राम नवमी है. अयोध्या के रहने वाले ट्रस्ट के मेंबर्स की राय है कि इससे अच्छा शुभ मुहूर्त नहीं है. ट्रस्ट के दो और सदस्य भी यही चाहते हैं. अगर इनकी बात पर बाकी लोगों ने भी मुहर लगा दी तो फिर 2 अप्रैल से राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा. सालों से लोग मंदिर बनने की तारीख की प्रतीक्षा करते आ रहे हैं.


तारीख तय होने के बाद सबसे बड़ी समस्या मंदिर के डिजाइन को लेकर है. सब चाहते हैं कि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बने. लेकिन मंदिर के मॉडल को लेकर एक राय नहीं है. विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग अपने मॉडल की पैरवी कर रहे हैं. अयोध्या में राम जन्म भूमि न्यास के वर्कशॉप में ये मॉडल रखा हुआ है. इसी डिजाइन के हिसाब से सालों से अयोध्या में पत्थर तराशे जा रहे हैं. लेकिन ट्रस्ट के कुछ सदस्य चाहते हैं कि ये मॉडल पुराना हो चुका है. मंदिर ऐसा हो कि लोग देखते रह जायें. अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसा है. इसीलिए जमीन की भार क्षमता का विश्लेषण भी जरूरी है. जमीन की संरचना के मुताबिक ही मंदिर का डिजाइन होना चाहिए. जिस इलाके में मंदिर बनना है वो भूकंप जोन - 3 में आता है. इसीलिए मंदिर की नींव भी उसके हिसाब से तैयार होनी है. मंदिर के डिजाइन और स्ट्रकचर के एनालिसिस के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की भी चर्चा है.

ट्रस्ट का खाता किस बैंक में रखा जाए, इस पर आज की बैठक में ही फैसला हो जाएगा. ट्रस्ट के हित में धन संग्रह कैसे हो, इस पर भी सहमति से निर्णय होना है. दान देने वालों को आय कर में छूट देने के प्रावधान पर भी फैसला होना है. ट्रस्ट  की बैठक के पहले उप्र सरकार ने ‘श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ के सदस्य के रूप में उप्र के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी और अयोध्या के डीएम अनुज कुमार को सदस्य नामित करने की मंजूरी दे दी है. केन्द्र सरकार के संयुक्त सचिव के स्तर के एक अधिकारी को भी न्यास में सदस्य के रूप में नामित किया जाना है. संभावना है कि केन्द्र सरकार आज किसी एक अधिकारी को सदस्य नामित करेगी.

लंबे समय तक आंदोलन और न्यायालय में चले मुकदमें के बाद बने न्यास के सदस्य अपनी जिम्मेदारियों को लेकर पशोपेश में हैं. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की पहली बैठक के पहले नामित सदस्य बुधवार को वीएचपी के दिल्ली के आरके पुरम कार्यालय में जमा होगें.  जहां से न्यास की बैठक के लिए एक साथ रवाना होगें. दोपहर 2 बजे सदस्यों की अनौपचारिक बैठक होगी. जहां से ग्रेटर कैलाश स्थित न्यास के ऑफिस पहुंचेंगें. ग्रेटर कैलाश में ट्रस्ट की  पहली बैठक मंदिर निर्माण के लिए पहला कदम होगा. संभावना है कि ट्रस्ट  के सदस्यों के क्रम में पहले सदस्य, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन, श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के पहले चेयरमैन चुने जाएगें.

5 फरवरी को घोषित श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के उद्देश्य और लक्ष्य में लिखा है कि ट्रस्ट का मकसद श्रीराम के जन्मस्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण व उसकी व्यवस्था को संभालना, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मंदिर निर्माण के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना है. श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का निर्माण करना जैसे बड़ी पार्किंग सुविधा, सुरक्षा के लिए अलग क्षेत्र बनाना, परिक्रमा क्षेत्र बनाना, अन्नक्षेत्र, रसोईं, शौचालय, प्रदर्शनी, संग्राहलय, यात्री निवास सहित दूसरी जरूरी व्यवस्थाएं करना. 1992 से ही अयोध्या के रामलला टेंट में हैं. दिन भर में सिर्फ आठ घंटा ही मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. भगवान राम के दर्शन के लिए लोहे की छड़ के दीवारों से होकर गुजरना पड़ता है. सवेरे 7 बजे से 11 बजे और फिर दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक ही मंदिर खुला रहता है. प्रति दिन औसतन 25 हजार लोग रामलला के दर्शन करते हैं.


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