नई दिल्ली: भारत की पहली माउंटन स्ट्राइक कोर अक्टूबर के महीने में चीन सीमा के करीब अपना पहला युद्धभ्यास करने जा रही है. खास बात ये है कि 'हिमविजय' नाम की इस एक्सरसाइज के दौरान भारतीय सेना में बनाए गए 'इंटीग्रेटेड बैटेल ग्रुप' यानि आईबीजी का भी ट्रायल किया जायेगा. पश्चिम बंगाल के पानागढ़ स्थित माउंटन स्ट्राइक कोर, जिसे ब्रह्मास्त्र का नाम दिया गया है, खास तौर से चीन से लड़ने के लिए तैयार की गई है. सेना मुख्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हिमविजय नाम की ये एक्सरसाइज एक महीने से ज्यादा चलेगी और इसका मुख्य उद्देश्य चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश और असम में अपने ऑपरेशन्स को परखना होगा. भारतीय सेना की ब्रह्मास्त्र कोर के अलावा इस एक्सरसाइज में भारतीय वायुसेना और रेलवे की मदद भी ली जायेगी.
सूत्रों ने बताया कि थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की पहल पर जो इंटीग्रेटेड बैटेल ग्रुप्स जो बनाए जा रहे हैं उसमें इस माउंटर स्ट्राइक कोर की मुख्य भूमिका होगी. इस कोर में तीन ऐसे बैटेल ग्रुप बनाए गए हैं. ये बैटेल ग्रुप अमेरिका सेना की तर्ज पर काम करते हैं और हरेक ग्रुप में इंफेंट्री सैनिकों के साथ साथ आईसीवी यानि इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल, टैंक, तोप सहित हेलीकॉप्टर शामिल होंगे.
ये बैटेल ग्रुप चीन सीमा के करीब तैनात रहेंगे और हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहेंगे. अभी तक सेना का तोपखाना, टैंक रेजीमेंट इत्यादि अलग-अलग यूनिट्स में काम करते हैं जिसके चलते इन्हें एक साथ मोबिलाइज करने में काफी वक्त लग जाता है. लेकिन आईबीजी एक रैपिड-यूनिट की तरह काम करते हैं जिन्हे बहुत तेजी से जंग के मैदान में दुश्मन के खिलाफ उतारा जा सकता है. हरेक आईबीजी का नेतृत्व एक ब्रिगेडियर या फिर एक मेजर-जनरल रैंक का अधिकारी करेगा. ये आईबीजी सीधे कोर कमांडर के अंतर्गत काम करेंगे (यानि सेना की एक फील्ड यूनिट, डिवीजन को खत्म कर दिया जायेगा. अभी तक कोर के नीचे तीन डिव यानि डिवीजन काम करती हैं और उसके नीचे तीन ब्रिगेड.
जानकारी के मुताबिक, हिमविजय में करीब करीब 15 हजार सैनिक हिस्सा लेंगे--एक आईबीजी में लगभग पांच हजार सैनिक हैं. इसके अलावा टैंक, आईवीसी, तोप, हेलीकॉप्टर हिस्सा लेंगे. अक्टूबर के महीने में इस एक्सरसाइज की ट्रैनिंग और ऑपरेशन्स शुरू हो जाएंगे.
आपको बता दें कि भारतीय सेना ने माउंटेन स्ट्राइक कोर (17वीं कोर) को मुख्य तौर से चीन से लड़ने के लिए तैयार किया है. अभी तक चीन सीमा पर सेना की तैनाती 'डिफेंसिव' थी यानि एक अपने इलाके और क्षेत्र की सुरक्षा करना था. लेकिन इस स्ट्राइक कोर का गठन युद्ध की परिस्थिति में दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करना है क्योंकि सेना की रणनीति अब डिफेंसिव की बजाए 'एग्रेसिव' हो गई है. सेना के रणनीतिकारों का मानना है कि डिवेंसिव होकर कोई भी युद्ध नहीं जीता जा सकता.
मंगलवार को ही सेना की पूर्वी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने पानागढ़ का दौरा किया था और एक्सरसाइज से जुड़ी जानकारी पर विस्तार से चर्चा की थी. गौरतलब है कि 1962 के युद्ध में चीन की सीमा अरूणाचल प्रदेश को पार कर लगभग असम मे ंदाखिल हो गई थी. यही वजह है कि हिमविजय युद्धभ्यास को अरूणाचल प्रदेश से लेकर असम तक में अंजाम दिया जायेगा.
डोकलम विवाद के दौरान भी भारतीय सेना ने देखा कि चीन के सैनिक आईसीवी से मूवमेंट कर रहे थे. यही वजह है कि आईबीजी में पैदल सैनिक कम दिखाई पड़ेंगे. पैदल सैनिकों की बजाए सैनिकों की मूवमेंट आईसीवी में होगी ताकि वे तेजी से मूव कर सकें. इस तरह की युद्धनीति अमेरिकी सेना की है.
आपको बता दें कि आईबीजी ग्रुप का ट्रायल पाकिस्तानी सीमा पर किया जा चुका है. इसके तहत पाकिस्तान सीमा की रखवाली करने वाली नाइन (0) कोर और इलेवन (11) कोर में तीन तीन आईबीजी का गठन कर लिया गया है. नाइन कोर का हेडक्वार्टर हिमाचल प्रदेश के योल में है जिसका रखवाली क्षेत्र जम्मू से लेकर पठानकोट तक है. जबकि इलेवन कोर का मुख्यालय जालंधर में है और पठानकोट से लेकर राजस्थान सीमा तक पूरे पंजाब क्षेत्र की सुरक्षा करती है. सूत्रों की मानें तो हिमविजय एक्सरसाइज के दौरान आईबीजी का ट्रायल सफल रहता है तो इन्हें सेना में स्वीकृति के लिए रक्षा मंत्रालय से इजाजत लेने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.