प्रवासी भारतीय सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, 'विदेश में भी फैली भारत की सुगंध, बदल रहा है देश'
महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से साल 1915 में स्वदेश वापस लौटे थे. महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है. इस समय दुनिया के 30 मुल्कों में 270 से ज्यादा भारतीय सांसद हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर हो रहे एक दिन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की सुगंध विदेशों तक फैली हुई है. पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले तीन सालों से लगातार काम किया है. देश तेजी से विकास कर रहा है. बता दें कि विदेश मंत्रालय के न्यौते पर आज 23 मुल्कों के 140 से ज्यादा सांसद को नई दिल्ली में जुटे थे. सांसदों के अलावा इस कार्यक्रम में बाहरी मुल्कों में मेयर की जिम्मेदारी संभाल रहे भारतीय मूल के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था.
पढ़ें पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें-
- पीएम ने कहा कि हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी न सिर्फ़ भारतीय नागरिकों, बल्कि प्रवासी भारतीयों की समस्याओं पर 24*7 नज़र रखती हैं. उनके नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने कौंसुलर शिकायतों की वास्तविक समय में निगरानी और रिसपॉन्स के लिए “मदद” पोर्टल की व्यवस्था खड़ी की है.
- मोदी ने कहा कि मैं जब भी किसी देश की यात्रा करता हूँ, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से मिलूं. मेरे इस एफर्ट का सबसे बड़ा कारण है कि मैं मानता हूं कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई Permanent Ambassadors हैं तो वो भारतीय मूल के लोग हैं.
- पीएम मोदी ने कहा कि भारत में दोगुनी तेजी से नई रेलवे लाईन बिछ रही है. आज देश बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है.
- पीएम मोदी ने कहा, “जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं”, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है. भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं. व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन का, एक अपरिवर्तनीय बदलाव का परिणाम आपको हर सेक्टर में नजर आएगा.
- मोदी ने कहा, ''आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं. आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है. हम पर फोकस बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, ट्रांस्फोर्म हो रहा है.
- मोदी ने कहा, ''राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक मिनी वर्ल्ड पार्लियामेंट मेरे सामने उपस्थित है. आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं. भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट रह चुके हैं.
- पीएम ने कहा, ''प्रवासी भारतीय ने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए.''
- मोदी ने कहा, ''यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए, वहीं पूरी तरह एकीकृत हो कर, उस जगह को अपना घर बना लिया. उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए.''
- पीएम मोदी ने कहा, ''आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं. वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर बहुत खुश होंगे. सैकड़ों वर्षों के कालखंड में भारत से जो भी लोग बाहर गए, भारत उनके मन से कभी बाहर नहीं निकला.
- विदेश मंत्री स्वराज ने कहा कि साल 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जा रहा है लेकिन कभी भी ऐसा आयोजन नहीं किया गया जिसमें केवल भारतीय मूल के जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया हो.
दरअसल, महात्मा गांधी इसी दिन दक्षिण अफ्रीका से साल 1915 में स्वदेश वापस लौटे थे. महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है जिन्होंने न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया बल्कि भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया.
मोदी सरकार के लिए यह महज एक आयोजन भर नहीं है. भारतवंशियों के बीच मौजूद भारतीय जड़ों को सींचने की इस कवायद के पीछे कोशिश है कि उसके सहारे दुनिया के मंच पर भारत के हितों की हिफाजत का एक मजबूत घेरा तैयार हो सके और साथ ही फायदे के फल भी उगाए जा सकें.
भारत के इन हौसलों औऱ मंसूबों के पीछे ताकत 3 करोड़ 12 लाख भारतवंशियों की है. इसमें से 1 करोड़ 30 लाख भारतीय मूल के हैं मगर अन्य देशों के नागरिक हैं, जबकि एक करोड़ 70 लाख लोग ऐसे लोग हैं जो भारतीय पासपोर्ट रखते हुए विदेशों में रहते हैं. इस समूह के बढ़ते दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस समय दुनिया के 30 मुल्कों में 270 से ज्यादा भारतीय सांसद हैं.