पहले बर्फबारी की मार और अब ठंड ने लद्दाख की जिंदगी को किया बुरी तरह प्रभावित
पहले बर्फबारी और उसके बाद पड़ने वाली ठंड ने लद्दाख की जिंदगी को पटरी से उतार दिया है. सड़कों पर फिसलन बढ़ जाने से गाड़ियों का चलना दूभर हो गया है. एक बार गाड़ी बंद होने पर दोबारा शुरू करना नामुकिन है. सबसे बुरा हाल स्थानीय लोगों के बाज़ार में लाए गए दूध और मक्खन का है.
लद्दाख: इस बार ठंड ने लद्दाख में लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त कर दी है. पहले बर्फबारी और उसके बाद पड़ने वाली ठंड ने जिंदगी को पटरी से उतार दिया है. पीने के पानी के सभी पाइपलाइन कड़ाके की ठंड में जम चुके हैं. लोगों को जरूरत पूरी करने के लिए प्राकृतिक कुओं पर निर्भर होना पड़ा है. ठंड इतनी ज़्यादा है कि नदी-नाले भी ठोस बर्फ की शक्ल अख्तियार कर चुके हैं.
ठंड ने लद्दाख में जीवन को किया अस्त-व्यस्त
सड़कों पर फिसलन बढ़ जाने से गाड़ियों का चलना दूभर हो गया है. एक बार गाड़ी बंद होने पर दोबारा शुरू करना नामुकिन है. ठंड के चलते गाड़ियों के टैंक में रखे डीजल भी जमने लगे हैं. सबसे बुरा हाल स्थानीय लोगों के बाज़ार में लाये गए दूध और मक्खन का है. आम तौर से कारगिल और द्रास में लोग प्लास्टिक की बोतल में दूध बाज़ार लाते थे लेकिन ठंड के चलते दूध भी जमने लगा है. मक्खन इतना ठोस हो जाता है कि चाकू से भी नहीं काटा जा सकता.
कारोबार और वाहनों पर भी पड़ रहा है असर
ठंड के चलते कारगिल और द्रास के बाजार भी वीरान पड़े हैं. इक्का-दुक्का दुकानें खुली नजर आ जाती हैं. बहरहाल, हालात जैसे भी हों, जिंदगी अपनी राह तलाश कर ही लेती है. बर्फीले रेगिस्तान में कुदरत से मुक़ाबला करने का रास्ता चादर ट्रेक के तौर पर सामने आया है. 14 जनवरी से शुरू हुआ चादर ट्रेक लद्दाख क्षेत्र की ज़ंस्कार घाटी में सर्दियों के दौरान किया जाता है, जो जांस्कर घाटी में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को उपयोग करने के लिए बड़ी सहायता करता है.