नई दिल्लीः कोरोना से लड़ाई में वैक्सीन एक हथियार की तरह है. ऐसे में देश के ऐसे कई हिस्से हैं जहां वैक्सीन पहुंचा पाना इतना आसान नहीं है. भारत ने इस मुसीबत का हल खोजते हुए नया इतिहास भी रच दिया है. भारत ने तकनीक और स्वास्थ्य क्षेत्र में नया उड़ान भरा है. कोरोना से जंग में भारत पूरी तरह से तैयार हो रहा है. हर उम्र, हर वर्ग, हर क्षेत्र में मौजूद भारतीयों को वैक्सीन लगाई जा रही है. इस जंग के तहत सोमवार तक  91 करोड़ 48 लाख से ज्यादा वैक्सीन लगाई जा चुकी है. लेकिन अब भी देश के कई हिस्से है जहां स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन पहुंचाने और ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


भारत की भौगोलिक स्थिती के कारण कई क्षेत्रों में वैक्सीन ले जाने में परेशानी होती है. इन जगहों पर वैक्सीन पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले महीने ड्रोन पॉलिसी यानि ड्रोन आधारित वैक्सीन वितरण प्रणाली की घोषणा की थी. ICMR ने इस पॉलिसी को हकीकत में बदल दिया है.


सोमवार को मणिपुर के बिश्नुपुर जिला अस्पताल से करांग स्वास्थ्य केंद्र तक ऑटोमेटेड ड्रोन के जरिए वैक्सीन भेजी गई. सड़क के रास्ते बिश्नुपुर और करांग की दूरी करीब 31 किलोमीटर है. लेकिन हवाई मार्ग में यही दूरी महज 15 किलोमीटर हो जाती है. यहां वैक्सीन पहुंचाने में ड्रोन को मात्र 15 मिनट समय लगे.


ड्रोन के जरिए वैक्सीन भेजे जाने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि वैक्सीन बिष्णुपुर से करांग भेजी गई. उन्होंने कहा कि आज पहली बार देश में और साउथ एशिया में ड्रोन का कमर्शियल इस्तेमाल हुआ है जिसकी शुरुआत वैक्सीन से हई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आगे इसका इस्तेमाल दूसरे कामों में भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मोदी जी की ड्रोन पॉलिसी का ये पहला प्रयोग हुआ है. ये देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है. मैं खुश इसलिए हूं क्योंकि ये ड्रोन मेक इन इंडिया है.


लखीमपुर हिंसा मामले में केस दर्ज होने के बाद माने किसान, हिरासत में ली गईं प्रियंका लखीमपुर जाने पर अड़ी


Weather Updates: बारिश को लेकर मौसम विभाग का अलर्ट, इस राज्य में हो सकती है भारी वर्षा