कोरोना वायरस फैलने के पीछे भीड़भाड़ को मुख्य वजह मानते हुए सरकार ने 25 मार्च से लॉकडाउन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों के होने पर कुछ मामलों में उनकी संख्या कम करने का सुझाव दिया था. जिसके बाद राज्य सरकारों ने अपनी तरफ से पहल शुरू कर दी. विचाराधीन कैदियों को छोड़े जाने संबंधी फैसले के बाद हरियाणा सरकार ने नया आदेश जारी किया है.


पहली बार अपराध करनेवालों की ना हो गिरफ्तारी


हरियाणा सरकार ने अहम फैसला लेते हुए पुलिस को आदेश दिया है कि पहली बार अपराध करनेवालों को गिरफ्तार नहीं किया जाए. ऐसे अपराधियों को उन मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जाए जिसमें 7 साल से कम सजा का प्रावधान है. अलबत्ता पुलिस को अगर लगता है कि उसे जांच की और जरूरत है तो ऐसी स्थिति में अपनी कार्रवाई कर सकती है. हालांकि पहले से इस सिलसिले में जेलों को विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों को छोड़ने की बाबत गाइडलाइन जारी है.


हरियाणा सरकार का पुलिस को नया फरमान जारी


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित उच्च प्राधिकार कमेटी की रिपोर्ट को गृह विभाग ने पुलिस को भेज दिया है. जिसके मुताबिक जांचकर्ता को सलाह दी जाती है कि पहली बार अपराध करनेवालों की गिरफ्तारी अमल में लाने से बचा जाए. ये आदेश उन लोगों के खिलाफ लागू होगा जिन्होंने कोई दंडनीय अपराध किया है और जिसकी सजा 7 साल तक की बनती है. हालांकि जरूरी जांच के मकसद से उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.


एडवायजरी के मुताबिक पुलिस कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक ऐसे मामलों पर निगाह रखने को कहा गया है. इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने जेलों में बंद करीब 11 हजार कैदियों को बाहर करने का फैसला किया था जबकि हरियाणा की खट्टर सरकार ने तीन महीने की पैरोल देने की बात कही थी.


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