‘फिच’ ने ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 8.5 प्रतिशत किया
‘फिच’ ने कहा कि हालांकि हमने भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 में अपने विकास पूर्वानुमान को तेजी से बढ़ती ऊर्जा कीमतों के कारण घटाकर 8.5 प्रतिशत (-1.8 फीसदी की कमी के साथ) कर दिया है.
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रेटिंग एजेंसी ‘फिच’ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अगले वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास के अनुमान को 10.3 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस के ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप के प्रकोप में कमी आने के बाद से प्रतिबंधों में ढील दी गई है. जिससे इस साल जून की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि में तेजी लाने के लिए मंच तैयार हुआ है.
एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास के अनुमान को 0.6 प्रतिशत बढ़ाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है. ‘फिच’ ने कहा कि हालांकि हमने भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 में अपने विकास पूर्वानुमान को तेजी से बढ़ती ऊर्जा कीमतों के कारण घटाकर 8.5 प्रतिशत (-1.8 फीसदी की कमी के साथ) कर दिया है.’’
पहले भी घटा चुकी है रेटिंग
इससे पहले भी फिच रेटिंग एजेंसी (Fitch Rating Agency) ने 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth) के अनुमान को घटा दिया था. इसके पीछे भी उसने कोरोना महामारी का कारण दिया था. कोरोना महामारी की वजह से दूसरी लहर के बाद पुनरुद्धार उम्मीद से कम रहने की वजह से ऐसा किया गया है. हालांकि उसने पिछले वर्ष भारत की वृद्धी दर का अनुमान 10.3 फीसदी कर दिया था लेकिन उसने फिर से इसको घटाकर 8.5 कर दिया है.
7.3 फीसदी का संकुचन
आपको बता दें कि पिछले वर्ष कोरोना वायरस संबंधित प्रतिबंधों के चलते कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ने से वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी का संकुचन आया था. फिच ने अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ने (कोरोना वायरस के) डेल्टा स्वरूप के चलते आये तेज संकुचन से वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) में मजबूत वापसी की है.
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