नई दिल्ली: एलओसी के केरन सेक्टर में रविवार को हुए एनकाउंटर में दो और सैनिक शहीद हो गए. इन दोनों का अस्पताल में इलाज चल रहा था. यानि इस ऑपरेशन में कुल पांच भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए हैं. ये सभी उस पैरा-एसएफ रेजीमेंट के कमांडो थे जिसका आदर्श वाक्य ही है 'बलिदान'. शहीद हुए पांचों कमांडो उसी पैरा-एसएफ यूनिट से ताल्लुक रखते हैं जिसने पाकिस्तान के खिलाफ साल 2016 में एलओसी पार कर सर्जिकल-स्ट्राइक की थी.


जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना के ड्रोन ने कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में घुसपैठियों की मूवमेंट देखी थी. पाकिस्तान से आए ये आतंकी एलओसी से करीब तीन किलोमीटर अंदर तक पहुंच गए थे. लेकिन क्योंकि इस वक्त इलाके में काफी बर्फ थी और इलाका बेहद ही दुर्गम था इसलिए एलओसी के पास वाली पोस्ट (चौकी) पर तैनात सैनिक उन तक पहुंच नहीं पा रहे थे. यही वजह है कि स्पेशल फोर्सेज़ (पैराएसएफ) कमांडो की एक यूनिट को आतंकियों को 'न्यूट्रेलाइज़' करने के लिए भेजा गया.


सूत्रों के मुताबिक, आतंकी बर्फ के एक नाले में छिपे हुए थे. भारतीय कमांडो एक उंची पहाड़ी से उन तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त पहाड़ पर बर्फ का टीला टूट गया और ये सभी आतंकियों के बेहद करीब आकर गिरे. ऊपर से गिरने के कारण भारतीय सैनिकों को काफी चोटें आईं लेकिन आमने-सामने की लड़ाई में इन कमांडोज़ ने पांचों आतंकियों को मार गिराया.


लेकिन इस मुठभेड़ में तीन सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि दो को अस्पताल ले जाया गया. जहां पर उनकी भी मौत हो गई. खराब मौसम के चलते घायल सैनिकों को श्रीनगर स्थित बेस हॉस्पिटल ले जाने में भी खासी दिक्कतें आई. शहीद हुए कमांडोज़ में एक सूबेदार रैंक के हैं, एक हवलदार हैं और तीन पैराट्रोपर (यानि सिपाही) हैं. उनकी पहचान सूबेदार संजीव कुमार, हवलदार देवेंद्र सिंह, पैराट्रुपर बालकिशन, अमित कुमार और छत्रपाल सिंह के तौर पर हुई है.


आपको बता दें कि उत्तरी कश्मीर के केरन और कुपवाड़ा क्षेत्र में एलओसी पर जमकर बर्फबारी होती है. इस बर्फबारी में एलओसी फैंस यानि कटीली तार बर्फ में दब जाती है. सैनिकों की पैट्रोलिंग भी कम हो जाती है, जिसके चलते आतंकी घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं.


यह भी पढ़ें-


Coronavirus: भारत में COVID-19 के 76% मरीज पुरुष, 24 फीसदी महिलाएं