अंबाला: राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के रूप में पांच विमान कल फ्रांस से भारत के लिए रवाना हो गए. फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में वायुसेना अड्डे से रवाना हुए ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके कल अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे. इन लड़ाकू विमानों के स्वागत की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. हालांकि, इन विमानों के आगमन के दौरान मौसम को भी ध्‍यान में रखा जाएगा.


एयरबेस का तीन किलोमीटर का दायरा नो ड्रोन जोन घोषित


बताया जा रहा है कि अंबाला एयर बेस के लिए सुरक्षा के बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. अंबाला में राफेल की कमान स्कवाड्रन-17 संभालेगी. इतना ही नहीं अंबाला एयरबेस के तीन किलोमीटर के दायरे को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है. यानी अब एयरबेस के तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी. हालांकि, वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन्हें बल में शामिल करने को लेकर औपचारिक समारोह का आयोजन अगस्त के मध्य में किया जाएगा.


वायुसेना अड्डे को रंगे बिरंगे झंडों से सजाया जा रहा है


राफेल लड़ाकू विमानों के स्वागत के लिए वायुसेना अड्डे को रंगे बिरंगे झंडों से सजाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि विमानों के एयरबेस पर लैंड करने के बाद उनपर पानी की बौछारें की जाएंगी और वायुसेना की धुन भी बजाई जाएगी. प्रशासन ने आसपास के इलाके में पक्षियों को दाना डालने और कूड़ा डंप करने पर भी रोक लगा दी है.


बता दें कि भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर विमान और दो ट्विन सीटर विमान शामिल हैं.


राफेल के आने से बढ़ जाएगी वायुसेना की ताकत


वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है. भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिये फ्रांस में ही रुकेंगे. बयान में कहा गया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था.


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