Flight Lieutenant Tejasvi Su-30 Operator: घातक सुखोई- 30 (Sukhoi-30) लड़ाकू बेड़े में भारतीय वायुसेना की इकलौती महिला हथियार प्रणाली संचालक (Weapon System Operator) होने का गौरव फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी (Tejaswi) के नाम है. चीन के मोर्चे पर चल रही सैन्य तैनाती के बीच फ्लाइट लेफ्टिनेंट का कहना है कि पूर्वी इलाके में किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए पायलट तैयार है.

  


चीन सीमा पर भी हैं तैयार हम


फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी मंगलवार को पूर्वी सेक्टर में चीन की सीमा (China Border) के करीब तेजपुर फॉरवर्ड एयर बेस में मौजूद थीं. वह यहां  एसयू-30 (Su-30) लड़ाकू विमानों के ऑपरेशन में शिरकत कर रहीं थीं. गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना का ये लड़ाकू बेड़ा नए हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों (Electronic Warfare Systems) को शामिल करने से और अधिक घातक बन गया है.


भारतीय वायु सेना के घातक सुखोई -30 लड़ाकू बेड़े की फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी कहती हैं कि पूर्वी क्षेत्र में किसी भी खतरे से निपटने के लिए पायलट तैयार हैं. इस इलाके में वो लोग किसी भी अनहोनी घटना का जवाब देने और वास्तविक सैन्य ऑपरेशन में अपनी क्षमता को साबित करने की खूबी रखते हैं.


दिलेरी दिखाने का मौका


फॉरवर्ड बेस पर जांबाज फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी ने बताया, "किसी भी वास्तविक सैन्य ऑपरेशन का हिस्सा बनने के लिए भारतीय वायु सेना हर एक लड़ाकू पायलट को ट्रेन करती है क्योंकि यही वह जगह है जहां हमें अपनी दिलेरी दिखाने का मौका मिलता है. पूर्वी क्षेत्र के विभिन्न ठिकानों के हमारे पायलट किसी भी तरह की घटना का जवाब देने के लिए तैयार हैं. हम किसी भी तरह के कामों और चुनौतियों के लिए हमेशा तैयार हैं, जो कि कभी भी हम पर आ सकती हैं."


इस दौरान उन्होंने सुखोई-30 से जुड़ी तकनीकी बातों के बारे में भी बताया. तेजस्वी ने कहा कि डब्ल्यएसओ (WSOs ) और विजोस (Wizzos) विशेषज्ञ अधिकारी होते हैं ये मल्टीरोल एसयू-30 लड़ाकू विमान के पीछे कॉकपिट में होते हैं. ये यहां से उड़ान भरने और दुश्मन के ठिकानों पर इन विमानों से दागे जाने वाले सेंसर और हथियारों को संभालते हैं. 


सैन्य ऑपरेशन प्रैक्टिस में शामिल


तेजस्वी से जब ये पूछा गया कि भारत के सीमा पर चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान ऑपरेशन का हिस्सा होना उन्हें कैसे लगता है. तो उन्होंने कहा, "जो कुछ भी चलता है, हमारा दिमाग उस जरूरत के वक्त में भी अलग नहीं सोच रहा होता, क्योंकि इस तरह के ऑपरेशन में बस हमें हमारे रोजाना के अभ्यास को ही अमल में लाने का काम करना होता है. जंग के दौरान कई संयुक्त सेना-वायु सेना के संयुक्त अभियानों के दौरान लड़ाकू पायलटों के हालिया अनुभवों को लेकर कुछ अन्य युवा महिला पायलट्स ने भी अपने अनुभव साझा किए. एक अन्य सुखोई-30 लड़ाकू पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट साक्ष्या बाजपेयी (Sakshya Bajpai) ने कहा कि इन वॉर गेम्स के दौरान उड़ान का अनुभव हमेशा बहुत रोमांचकारी होता है क्योंकि यह पायलटों को तैयार करने में मदद करता है ताकि वो वास्तविक ऑपरेशन के लिए बेहतर बन पाएं."


ट्रेनिंग बनाती है मजबूत


फ्लाइट लेफ्टिनेंट साक्ष्या बाजपेयी (Flight Lieutenant Sakshya Bajpai) ने बताया," ट्रेनिंग मिशन हमें किसी खास चीज पर ध्यान केंद्रित करने और हमें किसी भी आकस्मिक घटना के लिए तैयार होने में मदद करते हैं. ये असल में हमारे आदर्श वाक्य 'टच द स्काई विद ग्लोरी' को जीना सीखाते हैं. देश के पूर्वी हिस्सों के पहाड़ी घने जंगलों में लड़ाकू विमानों को उड़ाने की खासियत पर बाजपेयी ने कहा कि यहां के मौसम और इलाके की अप्रत्याशित प्रकृति के कारण यह एक चुनौती थी. उनका कहना है, "इस इलाके में गहन प्रशिक्षण और अभ्यास से हमें किसी भी चुनौती के लिए तैयार होने में मदद मिलती है."


भारत -चीन का सैन्य गतिरोध


गौरतलब है कि बीते दो साल से भारत लद्दाख (Ladakh) में उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ एक सैन्य गतिरोध (Military Stand-Off) में है. इस वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control) पर सेनाएं सतर्क हैं. भारतीय वायु सेना इस इलाके में विरोधियों को काबू में रखने के लिए बड़े पैमाने पर उड़ान भर रही है.


इस इलाके में दुश्मन पर नजर रखने के लिए सुखोई-30 एमकेआई (Su-30 MKI) लड़ाकू विमान और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा (Hashimara) में राफेल जेट का एक स्क्वाड्रन बेहद मददगार हैं. दरअसल एसयू (Su-30s) ने मिग-21 और अन्य तरह के विमानों की जगह ले ली है. पहले पूर्वोत्तर (Northeast) इलाके  में मिम-21 से ही काम लिया जा रहा था. ये पूर्वोत्तर में अपने ठिकानों से एलएसी (LAC) के पास बड़े पैमाने पर उड़ान भरते थे.


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