महंगा होगा हवाई सफर: देश में हवाई यात्रा करने वाले लोगों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी. केंद्र सरकार ने घरेलू हवाई किराए की निचली और ऊपरी सीमा 10 से 30 फीसदी तक बढ़ा दी है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि ये नई सीमाएं 31 मार्च 2021 तक या अगले आदेश तक लागू रहेंगी. जानिए फ्लाइट का किराया कैसे तय होता है और इसका तरीका क्या है?


देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए लगभग दो महीने के निलंबन के बाद घरेलू यात्री उड़ान सेवाएं 25 मई को फिर से शुरू हुईं थीं. तब मंत्रालय ने उड़ान की अवधि के आधार पर सात ‘बैंड’ के जरिए हवाई किराए पर सीमाएं लगाई थीं. बैंड की इन सीमाओं के आधार पर ही हवाई किराया तय होता है.


सात बैंड को कैसे बांटा गया?


पहले बैंड में 40 मिनट की अवधि से कम की उड़ानें आती हैं. पहले बैंड की निचली सीमा दो हजार रुपए से बढ़ाकर 2200 रुपए कर दी गई. इस बैंड की ऊपरी सीमा 7800 रुपए तय की गई जो पहले सिर्फ 6 हजार रुपए थी. बाद के बैंड 40-60 मिनट, 60-90 मिनट, 90-120 मिनट, 120-150 मिनट, 150-180 मिनट और 180-210 मिनट की अवधि वाले उड़ानों के लिए हैं. यानी जो फ्लाइट जितनी देर में सफर पूरा करेगी उसका किराया उतना ही ज्यादा होगा.


वर्तमान बैंड और उनकी कीमतें?




  • 40-60 मिनट- 2800 से 9 हजार 800 रुपए

  • 60-90 मिनट- 3300 से 11 हजार 700 रुपए

  • 90-120 मिनट- 3900 से 13 हजार रुपए

  • 120-150 मिनट- 5000 से 16 हजार 900 रुपए

  • 150-180 मिनट- 6100 से 20 हजार 400 रुपए

  • 180-210 मिनट- 7200 से 24 हजार 200 रुपए


पहले क्या थीं इन बैंड की कीमतें?




  • 40-60 मिनट- 2500 से 7500 रुपए

  • 60-90 मिनट- 3000 से 9000 रुपए

  • 90-120 मिनट- 3500 से 10000 रुपए

  • 120-150 मिनट- 4500 से 13000 रुपए

  • 150-180 मिनट- 5500 से 15700 रुपए

  • 180-210 मिनट- 6500 से 18600 रुपए


क्यों लागू किए गए बैंड?


दरअसल कोरोना वायरस महामारी से पहले एयरलाइंस कंपनियां अपनी फ्लाइटों का किराया खुद तय करती थी, इस पर सरकार का कोई दख़ल नहीं था. सरकार ने कुछ हवाई मार्गों पर एयरलाइनों के बीच टैरिफ युद्धों को रोकने के लिए भी निचली सीमा लागू की है. वहीं, किराया इसलिए भी बढ़ाया गया है कि क्योंकि बीते साल मई से लेकर अब तक ईंधन की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया गै कि जब गर्मी में फ्लाइट अपने कोरोना काल के दौर से पहले की क्षमता के साथ उड़ान भरेंगी तो हमें कीमतों के बैंड की जरूरत नहीं होगी.


गौरतलब है कि विमानन नियामक डीजीसीए ने पिछले साल 21 मई को कहा था कि हर एयरलाइन कंपनी को उड़ान पर कम से कम अपने 40 फीसदी टिकट निचले और ऊपरी सीमा के बीच के बिंदु से कम कीमत पर बेचने होंगे. बता दें कि वर्तमान में एयरलाइनें अपनी कोविड पूर्व क्षमता से 80 फीसदी तक काम कर सकती हैं. नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया है कि देश में हवाई सफर अब कोरोना से पहले वाली संख्याओं को छू रहा है.


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