उल्कापिंड की गर्मी से कई अरब सालों पहले मंगल ग्रह पर आई थी बाढ़, लाल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को मिला बल
ये बाढ़ कितनी भीषण रही होगी इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अरबों सालों बाद भी इसके निशान मौजूद हैं, स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि इस बाढ़ की लहरें लगभग 9.1 मीटर ऊंची थीं तो वहीं इनकी पहुंच 137.1 मीटर तक थी.
मंगल ग्रह(Mars Planet) जीवन की खोज के लिए वैज्ञानिकों की पहली पसंद है. इस लाल ग्रह में जीवन की संभावनाओं की तलाश में वो सालों से जुटे हुए हैं. वहीं इस दिशा में अब इन्हें एक बड़ी कामयाबी भी मिलती नज़र आ रही है. हाल ही में हुई एक गंभीर स्टडी में ये पता चला है कि इस ग्रह पर जो गेल क्रेटर मौजूद है उसमें लगभग 4 अरब साल पहले ऐसी बाढ़ आई थी जिसके निशान आज भी मौजूद हैं.
सतह पर मौजूद है बाढ़ के निशान
ये बाढ़ कितनी भीषण रही होगी इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अरबों सालों बाद भी इसके निशान मौजूद हैं, वहीं इसके अध्ययन करने वाले एजात हैदरी की माने तो जो आकार इस बाढ़ से मंगल ग्रह पर पड़ा वो पृथ्वी पर 20 लाख साल पहले बर्फ पिघलने से पड़े निशानों के जैसा ही है. स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि इस बाढ़ की लहरें लगभग 9.1 मीटर ऊंची थीं तो वहीं इनकी पहुंच 137.1 मीटर तक थी.
इस वजह से आई थी बाढ़
वैज्ञानिकों की माने तो यह बाढ़ इस ग्रह पर उल्कापिंड गिरने और इससे पैदा हुई गर्मी के कारण आई थी. और नासा के वैज्ञानिकों को ये बड़ी कामयाबी क्यूरियोसिटी रोवर के डेटा अध्ययन से प्राप्त हुई है. वहीं इन शोधों से अब इस लाल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को और भी बल मिल गया है. जिससे वैज्ञानिक और शोधकर्ता काफी उत्साहित हैं.
मीथेन गैस के भी मिले सबूत
वहीं नासा की शोध में ये बात भी सामने आई है कि मंगल ग्रह पर मीथेन बहुतायत है. ऐसे में एक बात साफ है कि जो जीव मीथेन पर जीवित रह सकते हैं उनके Mars पर होने की संभावनाएं भी हैं. या फिर भविष्य में वो जीव वहां पर रह सकते हैं. वैज्ञानिकों ने ऐसे चार जीवों के नाम बताए हैं जिनके वहां पर रह पाने की संभावनाएं हैं. ये हैं - मीथैनोथर्मोबैक्टर वोल्फी, मीथैनोसार्सिना बारकेरी, मीथैनोबैक्टीरियम फॉर्मिसिकम और मीथैनोकोकस मारिपालुडिस.