हैदराबाद: देश के सबसे कंजस्टेड शहरों में से एक माना जाता है. यहां का ड्रेनेज सिस्टम सवा चार सौ साल पुराना है. ड्रेनेज और शहर के अंदर बहने वाले छोटे बड़े नालों के ऊपर मकान बन चुके हैं, ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना बड़ी चुनौती है.


ड्रैनेज सिस्टम की क्षमता से 20 गुणा बारिश थी


ड्रेनेज सिस्टम 425 साल पुराना है इसीलिए 1 घण्टे में सिर्फ 12 MM पानी की निकासी को झेलने में सक्षम है. जिस तरह की बारिश पिछले 4 दिनों में हुई वो ड्रैनेज सिस्टम की क्षमता से 20 गुणा और कहीं कहीं 30 गुणा तक थी इसी वजह से शहर पानी की ऐसी मार को नहीं झेल पाया. वहीं, शहर के अंदर और बाहर बनी झीलें और तालाब एक प्राकृतिक बाढ़ प्रबंधन का काम करते थे लेकिन शहरीकरण के दबाव के चलते इनमें से कई तालाबों को बंद कर इमारतें बना दी गई.


ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाना होगा


जो बचे हुए तालाब हैं उनकी समय-समय पर सफाई और देख रेख को लेकर उदासीनता बरती गई. इन तालाबों में शहर का कचरा जमा होने लगा, तालाब और नालों की गहराई कम पड़ गई जिसके चलते ही पानी अब शहर में जमा होता है उसकी निकासी नहीं हो पाती. चन्द्र बाबू नायडू की सरकार ने हैदराबाद को हाई टेक सिटी बनाने का काम शुरू किया था तब शहरीकरण की ग्रोथ को 6 से 8 फीसदी रखने का सुझाव दिया गया था.


लेकिन रियल एस्टेट और अर्बनाइजेशन के दबाव में हर सरकार इसे बढ़ाती गई और अब ये ग्रोथ रेट लगभग 16 फीसदी तक पहुंच गई है. अगर ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना है तो बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाना होगा लेकिन वोट बैंक के चलते कोई भी पार्टी ये रिस्क नहीं लेना चाहती.


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