नई दिल्ली: तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येदुरप्पा क्या इस बार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे? इस सवाल का जवाब आज शाम चार बजे फ्लोर टेस्ट के बाद मिलेगा. 104 विधायकों वाली बीजेपी दावा कर रही है कि बहुमत परीक्षण पास कर लेगी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस-जेडीएस का कहना है कि उनके पास 118 विधायक हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि विधानसभा में ऊंट किस कर करवट बैठेगा?
क्या कहता है कर्नाटक गणित?
कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं, इनमें से 222 सीट पर ही चुनाव हुए. जेडीएस के एचडी कुमार स्वामी दो सीटों पर चुनाव जीते थे, उन्हें एक सीट छोड़नी होगी. इसके बाद विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 221 ही रह जाती है. इस हिसाब से देखें तो बहुमत का आंकड़ा घटकर 111 पर आ जाता है.
बीजेपी इस ट्रिक से फंसे पेंच को खोल सकती है
यहां 104 सीट वाली बीजेपी के लिए पेंच फंसता नजर आ रहा है. बीजेपी के पास बहुमत के लिए जरूरी नंबर में सात कम हैं. बीजेपी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस-जेडीएस के 12 विधायक उनके संपर्क में हैं. इनमें से आठ कांग्रेस, दो जेडीएस और दो निर्दलीय हैं.
ऐसे में अगर कांग्रेस-जेडीएस के 10 विधायक विधानसभा में वोटिंग के दौरान अनुपस्थिति रहते हैं तो सदन का आंकड़ा घटकर 211 पर पहुंच जाएगा और बहुमत के लिए 106 विधायकों की जरूरत होगी. बीजेपी के 104 और दो निर्दलीयों को जोड़ दें तो आराम से 106 के आंकड़े को छू लेगी.
कांग्रेस-जेडीएस का दावा- बहुमत से सरकार बनाएंगे
कांग्रेस के पास 78 विधायक हैं लेकिन यहां दावा कि एक विधायक आनंद सिंह गायब हैं. जेडीएस अपने सभी विधायकों के साथ होने का दावा कर रही है. दो निर्दलीय भी कांग्रेस-जेडीएस के साथ देखे जा चुके हैं. अगर सब कुछ कांग्रेस और जेडीएस की रणनीति के हिसाब से चला तो बेहद आसानी ये बीएस येदुरप्पा को फ्लोर टेस्ट में हरा देंगे. दोनों पार्टियों ने अपने अपने विधायकों को सेफ हाउस में रखा है.
कल फ्लोर टेस्ट के दौरान क्या खेल हो सकता है?
कर्नाटक में चुनाव परिणामों के बाद जिस तरह सियासी घटनाक्रम चल रहा है उसे देखकर कल होने वाले फ्लोर टेस्ट की गारंटी शायद ही कोई ले. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कल सबसे पहले विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. इसके बाद विधानसभा में तीन खेल हो सकते हैं.
पहला खेल: जो विधायक पाला बदलने को तैयार है वह शपथ लेने भी नहीं पहुंचें
दूसरा खेल: शपथ लेने के बाद पालाबदल विधायक सदन से ही बाहर चले जाएं
तीसरा खेल: सदन के भीतर ऐसे हालात हो जाये जिसमें पालाबदल का खेल आसान हो जाये
विशेषज्ञों की राय है कि सुप्रीम कोर्ट को तमाम विधायकों को एक साथ शपथ ग्रहण कराने की व्यवस्था करनी चाहिये थी. सदन के भीतर हालात कैसे होगें ये काफी कुछ स्पीकर पर निर्भर करेगा और स्पीकर सत्ता पक्ष यानी बीजेपी का ही होगा. फ्लोर टेस्ट का एलान स्पीकर को ही करना होता है.
आपके मन में सवाल होगा कि क्या पाला बदलने वाले विधायकों पर एंटी डिफेक्शन लॉ नहीं लगेगा? ऐसे में आपके बता दें कि विधायक पर क्या कार्रवाई होगी ये बाद में तय होगा लेकिन पहले उसके वोट को गिना जाएगा. मान लीजिए काग्रेंस का कोई विधायक अगर बीजेपी के हक में वोट डाल देता है तो उसका वोट बीजेपी के पाले में गिना जायेगा.
येदुरप्पा हारे तो क्या होगा?
बीएस येदुरप्पा अगर विश्वास मत हार जाते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होगा. इसके बाद जिस पार्टी को बहुमत मिलेगा उस पार्टी के नेता को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा. अगर फ्लोर टेस्ट में दोनों पक्षों को बराबर वोट मिलते हैं तो स्पीकर भी अपना वोट डालेगा.