जेटली का संकेत, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में नहीं होगी कटौती, कहा- इमानदारी से भरें टैक्स
एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा है, ‘‘सिर्फ वेतनभोगी वर्ग ही अपने हिस्से का टैक्स अदा करते हैं. जबकि ज्यादातर अन्य लोगों को अपने कर भुगतान के रिकॉर्ड को सुधारने की जरूरत है. ''
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की संभावना को आज एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का कोई भी कदम नुकसानदायक हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपने हिस्से के टैक्स का ईमानदारी से भुगतान करें, जिससे पेट्रोलियम पदार्थों पर राजस्व के स्रोत के रूप में निर्भरता कम हो सके.
एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा है, ‘‘सिर्फ वेतनभोगी वर्ग ही अपने हिस्से का टैक्स अदा करते हैं. जबकि ज्यादातर अन्य लोगों को अपने कर भुगतान के रिकॉर्ड को सुधारने की जरूरत है. यही वजह है कि भारत अभी तक एक टैक्स अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है. जेटली ने कहा , ‘‘ मेरी राजनीतिज्ञों और टिप्पणीकारों से अपील है कि गैर-तेल कर श्रेणी में अपवंचना रुकनी चाहिए. यदि लोग ईमानदारी से कर अदा करेंगे तो टैक्सेशन के लिए पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा. बहरहाल, मध्य से दीर्घावधि में राजकोषीय गणित में कोई भी बदलाव प्रतिकूल साबित हो सकता है.’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान केंद्र सरकार का टैक्स-जीडीपी अनुपात 10 प्रतिशत से सुधरकर 11.5 प्रतिशत हो गया है. इसमें से करीब आधी (जीडीपी का 0.72 प्रतिशत) वृद्धि गैर- तेल कर जीडीपी अनुपात से हुई है. जेटली ने कहा कि गैर-तेल कर से जीडीपी अनुपात 2017-18 में 9.8 प्रतिशत था. यह 2007-08 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. उस साल हमारे राजस्व की स्थिति अनुकूल अंतरराष्ट्रीय वातावरण की वजह से सुधरी थी.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस सरकार ने राजकोषीय मजबूती और वृहद आर्थिक दायित्व व्यवहार को लेकर मजबूत प्रतिष्ठा कायम की है. राजकोषीय रूप से अनुशासन नहीं बरतने से अधिक कर्ज लेना पड़ता है जिससे कर्ज की लागत बढ़ जाती है. उन्होंने कहा , ‘‘उपभोक्ताओं को राहत सिर्फ राजकोषीय रूप से जिम्मेदार और वित्तीय दृष्टि से मजबूत केंद्र सरकार और वे राज्य दे सकते हैं जिनको तेल कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी की वजह से अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है.
जेटली ने कहा कि नई प्रणाली में अनुपालन के ऊंचे स्तर के बावजूद गैर-तेल कर के मामले में भारत अभी भी टैक्स अनुपालन वाला समाज नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा , ‘‘ वेतनभोगी वर्ग टैक्स अनुपालन वाला है. दूसरे वर्गों को अभी इस बारे में अपना रिकॉर्ड सुधारने की जरूरत है. ’’