नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की ताजा रेटिंग पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली प्रतिक्रिया आई है. वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था सुधार के लिए उठाए कदमों की वजह से ही ऐसी रेटिंग आती है.


वित्त मंत्री ने कहा, ''हम इस अपग्रेड का स्वागत करते हैं. 13 वर्षों के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मूडीज का अपग्रेड मिला है, इसमें भारत की रेटिंग को पॉजिटिव से स्थाई अपग्रेड किया गया है. ऐसा अपग्रेड सुधार के लिए उठाए गए सकारात्मक कदमों के बाद ही मिलता है. ये इस बात को भी मान्यता देता है कि पिछले कुछ वर्षों में सुधार के जो भी कदम उठाए गए हैं, उससे इस देश की अर्थव्यवस्था मजबूत, स्थिर और दृड़ बनी है.


वित्त मंत्री ने कहा, ''इससे ये भी साफ होता है कि वित्तीय अनुशाषन में रहते हुए हमने जो भी कदम उठए वो सब एक दिन में थे. इसमें अर्थव्यवस्था का डिजिटाइजेशन, आधार, जीएसटी, बैंक रीकैपिटलाइजेश शामिल हैं. ये सब मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं. कुल मिलाकर देखें तो इन कदमों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है.''



वित्त मंत्री ने कहा, "भारत की सुधार प्रक्रिया के बारे में कई लोगों ने संदेह किया, अब वो लोग भी अपनी स्थिति को लेकर आत्मनिरीक्षण करेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने हमारे उद्देश्यों को और मजबूती मिलेगी.''


मूडीज ने मोदी सरकार में जताया भरोसा, 13 साल बाद बढ़ाई रेटिंग
जानी मानी रेटिंग एजेंसी अमेरिका की मूडीज इनवेस्टर सर्विसेज ने भारत की सोवरिन रेटिंग ‘बीएए3’ से सुधारकर ‘बीएए2’ कर दी है. साथ ही नजरिया सकारत्मक से स्थिर कर दिया गया है. रेटिगं मे सुधार का मतलब ये हुआ कि विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास और बढ़ेगा और वो यहां खुलकर निवेश कर सकेंगे. साथ ही नजरिया बदलने का मतलब ये हुआ कि फिलहाल इसमें गिरावट के आसार नहीं और ये भी हो सकता है कि आगे इसमें सुधार ही हो. ध्यान रहे कि अभी तक तमाम रेटिगं एजेंसियों ने भारत की रेटिंग सुरक्षित निवेश के लिहाज से बिल्कुल ही निचले पायदान पर रखा था.


मूडीज़ का अनुमान विकास दर में होगी बढ़ोतरी
मूडीज मानती है कि ज्यादात्तर सुधारों का असर देखने में थोड़ा समय लगेगा. नोटबंदी औऱ जीएसटी सुधारों ने थोड़े समय के लिए विकास दर पर असर भी डाला है. कुछ इसी वजह से मूडीज का आंकलन है कि 31 मार्च 2018 को खत्म होन वाले वित्त वर्ष 2017-18 में विकास दर 6.7 फीसदी रह सकती है. लेकिन जैसे-जैसे नये सुधार कार्यक्रमों की शुरुआती दिक्कतें दूर होंगी, उसका असर विकास दर पर देखने को मिलेगा.


छोटे औऱ मझौले उद्योगों के लिए सरकारी मदद और निर्यातकों के लिए जीएसटी के तहत मिलने वाली सुविधाएं भी इसमें मदद करेगी. इन्ही सब की बदौलत 2018-19 में विकास दर 7.5 फीसदी रह सकती है. आगे इसमें और भी तेजी की उम्मीद है. एजेंसी की राय में भारत की विकास संभावनाएं ‘बीएए2’ रेटिंग वाले कई देशें से बेहतर है.