FM Nirmala Sitharaman On Hindi Language: केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Minister Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को कहा कि हिंदी (Hindi) बोलने से उन्हें कंपकंपी (Shiver) छूट जाती है और वह झिझक के साथ ये भाषा बोल पाती हैं. हिंदी विवेक पत्रिका के एक कार्यक्रम में सीतारमण ने एक पूर्व वक्ता की घोषणा का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि सीतारमण का संबोधन हिंदी में होगा. जिस वजह से ये हालात बहे उनका जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि हिंदी में लोगों को संबोधित करने से उन्हें कंपकंपी होती है.


सीतारमण ने कहा कि वह तमिलनाडु (Tamil Nadu) में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ीं और हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा. केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने दावा किया कि हिंदी या संस्कृत को दूसरी भाषा के रूप में चुनने वाले छात्रों, यहां तक कि मेधा सूची में आने वाले छात्रों को भी राज्य सरकार द्वारा उनकी पसंद की भाषा के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिली.


हिंदी नहीं सीख पाने का मलाल


सीतारमण ने कहा कि वयस्क होने के बाद एक व्यक्ति के लिए एक नई भाषा सीखना मुश्किल है, लेकिन वह अपने पति की मातृभाषा तेलुगु सीख सकीं. हालांकि, पिछली घटनाओं के कारण हिंदी नहीं सीख पाईं. उन्होंने स्वीकार किया कि वह बेहद संकोच के साथ हिंदी बोलती हैं. उन्होंने माना कि इससे वह जिस प्रवाह से बोल सकती थीं वह प्रभावित होता है. वित्त मंत्री ने हालांकि हिंदी में ही अपना भाषण दिया जो 35 मिनट से अधिक समय तक चला.


आर्थिक सुधारों को लेकर कांग्रेस पर निशाना


सीतारमण ने कहा कि भारत पहले ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थान हासिल कर सकता था, लेकिन समाजवाद के आयातित दर्शन के चलते ऐसा नहीं हो सका जो केंद्रीकृत योजना पर निर्भर था. उन्होंने 1991 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों को आधे-अधूरे सुधार करार दिया, जहां अर्थव्यवस्था सही तरीके से नहीं बल्कि आईएमएफ द्वारा लगाई गई सख्ती के अनुसार खोली गई थी.


उन्होंने कहा कि जब तक बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण नहीं किया तब तक कोई प्रगति नहीं हुई और बुनियादी ढांचे के निर्माण, सड़कों और मोबाइल टेलीफोन पर उनके द्वारा दिये गये ध्यान ने हमें बहुत मदद की.


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