नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कुछ चीजों के महंगी किए जाने पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक विकास और आम आदमी के लिये बुनियादी सुविधायें खड़ी करने करने के लिये संसाधन जुटाना जरूरी है. बजट के एक दिन बाद उन्होंने कहा कि विदेशों से सोने और पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में अहम विदेशी मुद्रा खर्च होती है.
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में राजमार्गों, हवाईअड्डों, रेल परियोजनाओं, अस्पतालों और सार्वजनिक परिवहन पर बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई वस्तुओं पर जीएसटी में छूट देकर भी सरकार ने उपभोक्ताओं को करोड़ों रुपए का लाभ दिया है. बता दें कि बजट में सेस लगाने के बाद से देश में पेट्रोल-डीजल के दामो में 2 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है. देश में कर आधार बढ़ाने की जरूरत है. सरकार आपको सुविधायें उपलब्ध करा रही है, छोटा सा हिस्सा आप से ले रही है.’’
बजट में 2-5 करोड़ रुपये के बीच सालाना कमाई करने वालों पर 25 प्रतिशत की दर से और 5 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त कर लगाया गया है. कीमती धातुओं में सोने पर आयात शुल्क 10 से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया है. सोने की बढ़ी कीमतों पर एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि आभूषण निर्माता यदि आभूषण निर्यात के लिये कच्चे माल के तौर पर सोने का आयात करते हैं तो उसपर सीमा शुल्क नहीं लगता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की खानों में इतना सोना नहीं निकलता है जितना देश में सोने की मांग है. भारत में सोने को रखना शुभ माना जाता है, लेकिन इसके आयात में कीमती विदेशी मुद्रा खर्च होती है, इसलिये कर के रूप में आप देश को भी थोड़ा दे सकते हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार देश में अनेक परियोजनाएं चला रही हैं कि बिना कर के यह कैसे संभव होगा. उन्होंने जीएसटी के तहत जरूरी वस्तुओं की दर में कमी लाने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से एक साल के भीतर 94,000 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार ने छोड़ा है.
एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम होने के बावजूद उन पर सरकार का नियंत्रण बना रहेगा. वित्त मंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘सरकारी उपक्रमों में भारतीय जीवन बीमा निगम, बैंक और सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास भी कुछ हिस्सेदारी होती है. सरकार हिस्सेदारी की इस नीति में संशोधन करने पर विचार कर रही है जिससे कि सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी को भी सरकार की हिस्सेदारी माना जाएगा और इसको मिलाकर यह 51 प्रतिशत से कम नहीं होगी.’’
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