नई दिल्लीः बुधवार को मोदी सरकार का स्वरूप पूरी तरह बदल गया और बदला भी कुछ इस तरह जिसकी बड़े-बड़े पॉलिटिकल पंडित भी कल्पना नहीं कर पाए थे. कई नए चेहरों ने मोदी कैबिनेट में दस्तक दी है तो कई दिग्गजों को बाहर का रास्ता देखना पड़ा है. मंत्रियों के जोड़-घटाव में जो मैथेमेटिक्स काम कर रहा है, उससे पीएम मोदी के फ्यूचर प्लानिंग की झलक साफ नजर आती है.


नई मोदी कैबिनेट में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश नजर आती है. चुनावी राज्यों की बात करें तो सबसे ज्यादा यूपी से 7 मंत्री बनाए गए हैं. इसके साथ ही यहां से आने वाले कुल मंत्रियों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है. इसके बाद गुजरात से 5 मंत्री, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल और मणिपुर से 1-1 मंत्री बनाए गए हैं.


बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हैं यूपी विधानसभा चुनाव
दरअसल, उत्तरप्रदेश में साल 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और यह चुनाव बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है इसीलिए मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई. इस विस्तार में चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई.


उत्तरप्रदेश के जिन सात मंत्रियों को शामिल किया गया है उनके चयन में जातिगत समीकरण को साधते हुए अगले वर्ष के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को भी ध्याकन में रखा गया है. राज्य से जो नये केंद्रीय मंत्री बनाये गये हैं उनमें से तीन का संबंध पिछड़े वर्ग, तीन का दलित समूह है जबकि एक ब्राह्मण समुदाय से है. इन सात चेहरों में से केवल एक सहयोगी दल का है और शेष भाजपा के ही सांसद हैं


अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाकर सहयोगी दलों को साधने की कोशिश
अपना दल की मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भी राज्य मंत्री रह चुकी हैं. हालांकि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में दोबारा जगह नहीं मिली थी. लेकिन यूपी के समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अब उन्हें मंत्री बनाया गया है.


उत्तरप्रदेश के बाद गुजरात तवज्जो दी गई और वहां से 5 मंत्री बनाए गए हैं. इसके जरिए भी गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले समीकरण साधने की कोशिश की गई है.


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