सेंट पीटर्सबर्ग: स्पेन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ सालाना शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज पहुंचे हैं. जिसमें दोनों पक्ष कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और सबकी निगाहें भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के लिए रूस की मदद से जुड़े करार पर हैं.


 


पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी
मोदी ने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, ‘‘ऐतिहासिक शहर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा. उपयोगी यात्रा की उम्मीद करता हूं जिसका उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को मजबूती प्रदान करना है.’’ सम्मेलन शुरू होने से कुछ घंटे पहले भारतीय अधिकारियों ने बताया कि तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई 5 और 6 के निर्माण के लिए रिण सहायता पर समझौते के विवरण और भाषा को लेकर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है.


सूत्रों ने कहा, ‘‘समझौते पर काम जारी है.’’ संयंत्रों का निर्माण भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और रूसी परमाणु संयंत्रों की नियामक संस्था रोसाटॉम की सहायक कंपनी एटम्सस्ट्रॉयएक्सपोर्ट कर रहे हैं.


क्या खास हो सकता है इस दौरे में?
दोनों पक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रेलवे, सांस्कृतिक आदान-प्रदान समेत व्यापक क्षेत्रों में और निजी पक्षों के बीच अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में भी 12 समझौतों पर दस्तखत कर सकते हैं. दोनों नेता एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ भी जारी करेंगे.


यदि परमाणु समझौते पर दस्तखत किये जाते हैं तो यह सम्मेलन का केंद्र बिंदु होगा. इससे पहले अक्टूबर 2016 में गोवा में पिछले द्विपक्षीय सम्मेलन में भी यह केंद्र बिंदु था.


अगर करार हो जाता है तो एक-एक हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाली दोनों इकाइयां देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ाएंगी.


फिलहाल देश में सभी 22 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता 6780 मेगावाट है. अक्टूबर 2015 में मोदी और पुतिन के एक संयुक्त बयान में दिसंबर 2016 तक परमाणु इकाइयों पर जनरल फ्रेमवर्क समझौते का वादा किया गया था. अंतर-मंत्रालयी समूह की मंजूरी के बाद इसे स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया. लेकिन सूत्रों का कहना है कि रूस द्वारा दिया जाने वाला क्रेडिट प्रोटोकॉल :रिण सहायता: अवरोध साबित हो रहा है.


रूस में भारत के राजदूत पंकज सरण ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं के बीच काफी परस्पर विश्वास और आपसी तालमेल है जो पिछले तीन साल में विकसित हुआ है.’’ उन्होंने कहा कि कल होने वाले सम्मेलन में दोनों नेता मौजूदा संबंधों का जायजा लेंगे और भविष्य के दृष्टिकोण के लिए रूपरेखा पर विचार-विमर्श करेंगे.


सोवियत संघ के समय से रूस के साथ रहे भारत के परंपरागत संबंध मॉस्को की चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी से जटिल हो गये.


हालांकि सरण ने कहा कि रूस के साथ भारत के संबंधों पर पाकिस्तान के साथ रूस के संबंधों का कोई प्रभाव नहीं है.


मोदी के स्पेन से यहां पहुंचने से कुछ घंटे पहले सरण ने कहा, ‘‘रूस के साथ हमारे रिश्ते एक अलग पायदान पर हैं और हमारे बीच एक पूरा एजेंडा है जो दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. हमें अपनी महत्वपूर्ण चिंताओं और अहम सुरक्षा हितों की स्पष्ट समझ है.’’ मोदी सेंट पीटर्सबर्ग में खराब मौसम के बीच पहुंचे. प्रधानमंत्री कल पिस्कारियोवस्कोई स्मारक पर दौरे के साथ अपनी तीन दिन की रूस यात्रा शुरू करेंगे. द्वितीय विश्व युद्ध में लेनिनग्राद पर हमले के दौरान मारे गये करीब पांच लाख सैनिकों की स्मृति में इसे बनाया गया.


उसके बाद पुतिन कोंस्टानटिन पैलेस में मोदी की अगवानी करेंगे जो रूस के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास है और इसी भव्य इमारत में पुतिन दूसरे देशों के नेताओं की मेजबानी करते हैं. सम्मेलन के बाद पुतिन मोदी के लिए एक निजी डिनर का आयोजन करेंगे जिसमें कोई सहयोगी नहीं होगा.


पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री होंगे आर्थिक सम्मेलन का हिस्सा
शुक्रवार को मोदी सालाना सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. इसमें दुनियाभर के नेता और उद्योगपति शामिल होंगे. पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री आर्थिक और कारोबारी सम्मेलन में शामिल हो रहा है.


सम्मेलन में करीब 60 भारतीय सीईओ भी शामिल होंगे और भारत ने यहां ‘मेक इन इंडिया’ पवेलियन भी बनाया है.


दोनों देशों के बीच 7.8 अरब डॉलर का कारोबार है जिसमें 2014 की तुलना में कमी आई है. तब यह 10 अरब डॉलर था. दोनों देश अगले पांच साल में व्यापार को 30 अरब डॉलर पहुंचाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं.