उत्तराखंड, गोवा में चेहरे पर सस्पेंस खत्म होने के बाद अब यूपी में मंत्रिमंडल के चेहरे पर पूरा फोकस है. मणिपुर में बीरेन सिंह ने सीएम पद की शपथ ले ली है. उत्तराखंड में बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. वहीं गोवा में प्रमोद सावंत पर पार्टी का भरोसा कायम है. मणिपुर में एक बार फिर एन बीरेन सिंह ही मुख्यमंत्री होंगे. इस बीच अब पूरी सियासी रस्साकसी का फोकस यूपी पर है.
यूपी के मंत्रिमंडल की तस्वीर को समझने के लिए उत्तराखंड में अपनाई गई बीजेपी की सियासी रणनीति समझने की जरूरत है. उत्तराखंड से सीएम पुष्कर खटीमा से अपना चुनाव हार गए थे, उसी तरह यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी सिराथू से अपना चुनाव हार गए थे. अब धामी की किस्मत चमकी है तो इस तर्ज पर मौर्य को भी अपना ताज बचने की गुंजाइश दिख रही है. शायद इसी खुशी में केशव प्रसाद मौर्य ने ही ट्वीट करके धामी को सबसे पहले बधाई दी.
वैसे उत्तर प्रदेश में नई सरकार का समीकरण साधने के लिए बीजेपी ने अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाया है. अमित शाह यूपी की नब्ज को अच्छी तरह समझते हैं और बीजेपी सूत्रों की मानें तो इस बार का मंत्रिमंडल ऐसा होगा, जो बीजेपी को आने वाले 20-25 सालों तक यूपी की सत्ता में स्थापित कर देगा. मंत्रिमंडल चुनने में बीजेपी का फोकस हर पहलू पर है.
जातिगत समीकरण, शैक्षणिक और प्रोफेशनल योग्यता, विभिन्न विषयों के एक्सपर्ट जैसे कारक मंत्रिमंडल को चुनने के पीछे अहम हो सकते हैं. अगर गौर करें तो इस चुनाव में हर जाति में बीजेपी का जनाधार और बढ़ा है. अगड़ों, गैर यादव पिछड़ों, महिलाओं और गैर जाटव अनुसूचित जाति के साथ जाटव वोट भी बीएसपी से खींचकर बीजेपी की तरफ आया है. बीजेपी अब इन वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर इस वोट बैंक को मजबूत करना चाहेगी.
योगी 1.0 में 24 सवर्ण मंत्री थे. जबकि 14 अन्य पिछड़ा वर्ग के मंत्री थे. इसके अलावा 5 मंत्री अनुसूचित जाति से और एक-एक मुस्लिम और सिख मंत्री था. जिस तरह से इस बार अनुसूचित वोटरों ने बीजेपी का रुख किया है, उन्हें इस बार मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी मिल सकती है. इसके अलावा ओबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ना भी लगभग तय लग रहा है. दरअसल चुनावों में जिस तरह से जातियों का समीकरण बीजेपी ने तैयार किया है, 2024 को देखते हुए अब वो उसे ही आगे ले जाने की तैयारी में है.
इस चुनाव में बीजेपी ने लाभार्थियों का एक खास वर्ग तैयार किया है. इस वर्ग में महिलाएं खासतौर पर शामिल रहीं. नई सरकार की कोशिश महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढाने के साथ-साथ इस वर्ग तक और सुविधाएं पहुंचाने की होगी. योगी 2.0 में जातियों के हिसाब से हिस्सेदारी तो दी ही जा सकती है. कोशिश इस बात की भी होगी कि सरकार में पढ़े लिखे लोग दिखें, जिससे लोगों में अच्छा संदेश जाए. इस बार योगी सरकार को केंद्र की तरह प्रोफेशनल टच भी दिया जा सकता है. कुल मिलाकर इस सरकार के जरिए बीजेपी 2024 चुनाव का एजेंडा साधने की कोशिश में है.
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