रांची / पटनारांची की एक सीबीआई अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद को दस लाख रुपये जुर्माने के साथ साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. अगर जुर्माना नहीं दिया गया तो 6 महीने की सजा बढ़ा दी जाएगी. जगदीश शर्मा को 7 साल की सज़ा हुई है. अब जमानत के लिए उपरी अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. इस फ़ैसले पर तेजस्वी यादव ने कहा कि हम हाई कोर्ट जाएंगे.


राजद इसके बाद की स्थिति से निपटने के लिए पहले ही  रणनीति बना चुकी है. इसे लेकर शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर राजद के शीर्ष नेताओं के बीच मंथन हुआ है. इस बैठक में बड़ी संख्या में राजद के नेता और कार्यकर्ता भाग लिये हैं. राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने इस बैठक में भाग लेने के पूर्व बताया, "यह बैठक पूर्व निर्धारित था. इस बैठक में पार्टी को मजबूत करने और भविष्य की रणनीति पर विचार किया जाएगा."




वैसे, इस बैठक के जरिए राजद यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी एकजुट है और अध्यक्ष लालू प्रसाद के जेल जाने की स्थिति के बाद पार्टी के सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यही कारण है कि बैठक में पहुंचने वाले कार्यकर्ता 'हममें है लालू, तुममें है लालू, हम सबमें है लालू' का नारा लगा रहे थे.


बैठक में पहुंचने वाले कार्यकर्ताओं ने एक सुर में कहा कि लालू कहीं भी रहें उनकी नीति और सिद्घांत हमारे साथ है. बैठक में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह, विधायक भाई वीरेंद्र सहित सभी वरिष्ठ नेता भी भाग ले रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हो रही इस बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी के सांसद, विधायक, विधान पार्षद, पार्टी के पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों और प्रखंड अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है.



सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने बिहार के पूर्व सीएम डा. जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र एवं साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था. इस मुकदमे में लालू, पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आरके राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस और महेश प्रसाद और 29 अन्य आरोपी थे. कुल 38 आरोपियों में से सुनवाई के दौरान जहां 11 की मौत हो गयी, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये तथा दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी.