नई दिल्ली: लालू प्रसाद यादव के लिए साल 2017 बिल्कुल भी बढ़िया नहीं रहा. इसी साल लालू यादव पर IRCTC होटल घूसकांड को लेकर कार्रवाई हुई, जिसके चलते पटना में बन रहे उनके मॉल की जमीन तक जब्त हो गई. इसी साल बिहार की सत्ता से आरजेडी की विदाई हो गई.


अब 2017 खत्म होते-होते उनके सामने पुराने चारा घोटाले का जिन्न भी सामने आ गया है. रांची की विशेष सीबीआई अदालत चारा घोटाले से जुड़े एक और केस में आज लालू यादव और उनके करीबी रहे जगन्नाथ मिश्र पर फैसला सुनाएगी.


क्या है बिहार का चारा घोटाला?
चारा घोटाला 1990 से शुरू हुआ था, तब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. बिहार के पशुपालन विभाग में फर्जी बिल देकर राज्य के कई जिलों के कोषागार से लाखों रुपये निकालने का खेल चल रहा था. कई सालों तक करोड़ों की रकम अधिकारियों, ठेकेदारों और नेताओं की मिलीभगत से फर्जी तरीके से निकाले गए. मामला 70-80 लाख रुपये से शुरू हुआ था और 900 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा. अलग-अलग जिलों में धांधली के लिए अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए. सीबीआई ने भी हर मामले के लिए अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की.


चारा घोटाले में कुल 6 केस हैं. जिनमें से एक केस में 2013 में लालू यादव को 5 साल की सजा हो चुकी है, जिसके कारण वो चुनावी राजनीति से ही दूर हो गए. उस मामले में लालू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने की अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हर केस का ट्रायल अलग-अलग चलाने का आदेश दिया था .


किस मामले में फैसला आने वाला है?
जिस मामले में फैसला आने वाला है, वो है देवघर कोषागार से 85 लाख रुपये की अवैध निकासी का. इस मामले में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत कुल 22 आरोपी हैं. रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई पूरी हो चुकी है अब फैसला सुनाया जाना है.


चारा घोटाले में सबूतों और साक्ष्यों को सामने लाने वाले याचिकाकर्ता सरयू राय के मुताबिक लालू यादव को भी ये पता नहीं होगा कि चारा घोटाला इतना बड़ा रूप ले लेगा कि उन्हें सजा हो जाएगी. सरयू राय मौजूदा समय में झारखंड में मंत्री हैं. याचिकाकर्ता और नीतीश कुमार के करीबी जेडीयू नेता ललन सिंह के मुताबिक लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र इस मामले में बराबर के दोषी हैं.