(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चारा घोटालाः दुमका कोषागार से गबन मामले में कोर्ट अब कल सुनाएगी फैसला
कोर्ट ने लालू यादव द्वारा बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक समेत तीन अधिकारियों पर भी इस मामले में मुकदमा चलाने के लिये दायर याचिका के मद्देनजर ऐसा किया है.
रांची: लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत 31 लोगों के खिलाफ चारा घोटाले में दुमका कोषागार से गबन के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज अपना फैसला कल तक के लिए टाल दिया. लालू यादव फिलहाल रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं.
कोर्ट ने लालू यादव द्वारा बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक समेत तीन अधिकारियों पर भी इस मामले में मुकदमा चलाने के लिये दायर याचिका के मद्देनजर ऐसा किया है. लालू यादव की इस नयी याचिका पर कोर्ट कल अपना आदेश सुनाने के बाद दुमका कोषागार से गबन के मामले में फैसले की तिथि निर्धारित करेगी.
चारा घोटाले के दुमका कोषागार से तीन करोड़ तेरह लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले में आज सीबीआई की शिवपाल सिंह की विशेष अदालत ने फैसला कल तक के लिए टाल दिया. कल सीबीआई अदालत पहले लालू यादव की उस नयी याचिका पर फैसला सुनायेगी जिसमें उनके वकील आनंद ने चारा घोटाले के इस मामले में बिहार के तत्कालीन महालेखा परीक्षक, उपमहालेखा परीक्षक और महालेखाकार कार्यालय के निदेशक पर भी संलिप्तता का मुकदमा चलाने की मांग की है. अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लालू यादव ने इन तीनों को भी नोटिस जारी कर इस मामले में सह अभियुक्त बनाने का अनुरोध किया है.
लालू यादव ने अपने वकील के माध्यम से पूछा है कि अगर इतना बड़ा घोटाला बिहार में हुआ तो उस दौरान 1991 से 1995 के बीच बिहार के महालेखाकार कार्यालय के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी? लालू यादव ने यह याचिका बुधवार को ही दाखिल की थी लेकिन आज इसे संशोधित कर एक बार फिर कोर्ट में पेश किया गया. इस पर बहस के बाद अदालत ने इस पर फैसले के लिए कल की तिथि निर्धारित की है.
लालू यादव पर चारा घोटाले के 6 मामले दर्ज हैं. तीन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को चार घोटाले के पहले मामले में साल 2013 में पांच साल की सजा सुनाई गई थी. इस घोटाले के दूसरे मामले में लालू यादव को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. तीसरे मामले में उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के लिए 24 जनवरी को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा दी गई.