नई दिल्ली: रांची की एक सीबीआई अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद को दस लाख रुपये जुर्माने के साथ साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. अगर जुर्माना नहीं दिया गया तो 6 महीने की सजा बढ़ा दी जाएगी. अब जमानत के लिए ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. क्योंकि जब भी सजा 3 साल से अधिक की होती है, जमानत के लिए दोषी को ऊपरी अदालत का रुख करना पड़ता है. इस फ़ैसले पर तेजस्वी यादव ने कहा कि हम हाई कोर्ट जाएंगे.


बता दें कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने सजा की अवधि पर बहस पूरी होने के बाद उन्हें सजा सुनाई. अदालत ने पिछले साल 23 दिसंबर को इस घोटाले के संबंध में लालू यादव और 15 अन्य को दोषी करार दिया था. चारा घोटाले के मामले में ही तत्कालीन पीएसी चेयरमैन जगदीश शर्मा को सात साल की कैद और 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया है. पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन साल की कैद और दस लाख रूपये का जुर्माना. बाकी तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों महेश प्रसाद, फूल चंद और बेक जुलियस को साढ़े तीन साल की कैद और पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया है.बिहार: बनते-बिगड़ते सियासी समीकरण के बीच कैसा रहा साल 2017



तेज प्रताप यादव ने सजा के ऐलान के बाद कहा- हमारे पिता शेर हैं हम सभी शेर के बच्चे हैं, जो समाज में नहीं बोल सकते थे उनके लिए पिता जी ने लड़ाई लड़ी. आरजेडी विधायक भोला यादव ने कहा कि सोना को ही तपाया जाता है, चांदी को नहीं, हमारे नेता लालू जी सोना हैं तप कर निकलेंगे, हम फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे.



सजा मिलने के बाद लालू यादव की चिट्ठी आई सामने, कहा- वंचितों की लड़ाई लड़ी

लालू प्रसाद यादव के बेटे और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपने पिता की एक चिट्ठी साझा की है. सजा के ऐलान के तुरंद बाद तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'आप सबों के नाम पिता जी का खुला पत्र, आपको पढ़ने और औरों को पढ़ाने के लिए कहा है.



इस चिट्ठी में लालू यादव ने बचपन से ही चुनौतीपूर्ण और संघर्ष से भरा जीवन था मेरा. मुझे वो सारे क्षण याद आ रहे हैं जब देश में गांव, पिछड़े, शोषित, वंचित और अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ना कितना कठिन था. वो ताकतें जो सैकड़ों साल से इन्हें शोषित कर रही थी वो कभी नहीं चाहती थी कि वंचित वर्गों के हिस्से का सूरज कभी जगमगाए. लेकिन पीड़ितों औऱ सामूहिक संघर्ष ने मुझे अद्भूत ताकत दी इसी कारण से हमने सामंती सत्ता के हजारों सालों के उत्पीड़न को शिकस्त दी.

इस चिट्ठी में लालू यादव ने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए लिखा है कि आप सभी के नाम ये पत्र लिख रह हूं और याद कर रहा हूं अन्याय और गैर-बराबरी के खिलाफ अपने लंबे सफर को. हासिल हुई मंजिल को और सोज रहा हूं, अपने दलित पिछले और अत्यंत पिछड़े जनों के बाकी बचे अधिकारों को.


पार्टी की कमान किसके हाथ?
अब सियासी गलियारे में बड़ा सवाल यह है कि लालू यादव की विरासत किसके हाथ में रहेगी? अब क्या परिवार और पार्टी में आपसी लड़ाई चरम पर होगी? पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती या रघुवंश सिंह.. पार्टी की कमान किसके हाथ रहेगी. वैसे तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाकर लालू ने पार्टी और अपने समर्थकों को अपनी विरासत का संदेश दे दिया था. लालू यादव को दोषी करार देने के बाद जज ने कहा, ‘बाहर आपको समय नहीं मिलता जेल में आत्मचिंतन करें’


किस मामले में मिली है लालू को सजा?


बता दें कि 950 करोड़ के चारा घोटाले केस में एक केस देवघर कोषागार से 89 लाख 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े का है. सीबीआई की विशेष अदालत ने 23 दिसंबर को इसी मामले में फैसला सुनाया था. जिसमें कोर्ट ने 22 आरोपियों में से लालू यादव, बिहार के दो पूर्व सांसद आर के राणा और जगदीश शर्मा समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था.चारा घोटाला: लालू यादव ने कहा- 'जेल में बहुत ठंड लगती है', जवाब में जज ने कहा- 'तबला बजाइए'


वहीं कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित छह लोगों को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया था.


फैसले के बाद जाति को लेकर जंग शुरू


कोर्ट के इस फैसले के बाद जाति को लेकर भी जंग शुरू हो गई थी. यही वजह कि सजा के ऐलान से पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ‘अदालत जाति देख कर सजा नहीं देती. जाति कार्ड काफी पुराना हो चुका है और अब बिहार काफी आगे निकल चुका है.’