रांची: चारा घोटाला के चौथे केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है, जबकी इसी मामले में बिहार के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को बरी किया है. इस केस में 31 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें अदालत ने 19 को दोषी करार दिया, जबकि 12 बरी किए गए. सजा पर बहस 21, 22 और 23 मार्च को होगी.


ग़ौरतलब है कि लालू प्रसाद चारा घोटाले के अन्य तीन मामलों में सज़ायाफ्ता हैं और फिलहाल झारखंड की जेल में अपनी सजा काट रहे हैं. लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाला में 6 केस दर्ज हैं. अब तक चार में उन्हें दोषी ठहराया जा चुका है, जबकि दो मामले अभी अदालत में लंबित हैं.


चौथे मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि लालू प्रसाद को इस केस में जो सजा दी जाएगी वो साथ-साथ चलेगी या अलग-अलग. लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद उनके वकील ने एबीपी न्यूज़ से बताया कि उसपर फैसला सजा के एलान की सुनवाई के दौरान होगी. उनका कहना था कि सीआरपीसी में ऐसे प्रवाधान हैं जिनमें एक साथ सजा काटी जा सकती है.


कौन दोषी, कौन रिहा


दोषी

राधा मोहन मंडल
गोपीनाथ दास
पीताम्बर झा
ओपी दिवाकर
पंकज मोहन
महेंद्र चंद्र बेदी
कृष्णकुमार प्रसाद
अरुण कुमार सिंह
अजीत वर्मा

रिहा-निर्दोष

मनुरंजलाल मोहन प्रसाद
ध्रुव भगत
जगन्नाथ मिश्रा
ऐसी चौधरी

आज कोर्ट में क्या हुआ?


आज का मामला दुमका कोषागार से जुड़ा हुआ है. इस मामले में सुनवाई अंग्रेजी के अल्फाबेट क्रम के अनुसार हुआ, लेकिन लालू कोर्ट में मौजूद नहीं थे, इसलिए उन्हें क्रम के अलग बाद में दोषी करार दिया गया.  लालू प्रसाद यादव  रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती थे. बिरसा मुंडा जेल में तबीयत खराब होने के बाद उन्हें पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था.


जब लालू यादव कोर्ट नहीं पहुंचे तो जज ने उनके वकील से सजा पर उनकी राय मांगी और फिर वकील की हामी के बाद सजा का एलान हुआ. दरअसल, जज का कहना था कि लालू यादव हिरासत में हैं इसलिए उनका होना जरूरी नहीं है.


हालांकि, दोषी करार दिए जाने के चंद मिनट बाद लालू यादव कोर्ट परिसर से पहुंचे.


राजीनितक प्रतिक्रियाएं?


जैसे ही लालू यादव को दोषी करार दिया गया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने फैसले पर सवाल उठाए. उनका कहना था कि जगन्नाथ मिश्र को बरी किया गया है, जबकि लालू प्रसाद को दोषी करार दिया गया.


जबकि जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि फैसला सही है और वो तीन मामलों में पहले ही से दोषी करार दिए गए हैं, इसलिए उनपर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.


क्या है मामला?


जिस मामले में आज लालू यादव को दोषी ठहराया गया है यह दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार (ट्रेजरी) से 13.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. इस मामले में सीबीआई ने 11 अप्रैल, 1996 को 48 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. 11 मई, 2000 को अदालत में पहली चार्जशीट दायर की गई थी.


चारा घोटाला मामले में 15 मार्च को ही फैसला आना था लेकिन लालू ने कोर्ट में याचिका डालकर इस मामले में तत्कालीन अकाउंटेंट जनरल को आरोपी बनाने की मांग की. जिसकी वजह से फैसला टला, फिर 17 मार्च को फैसला होना था लेकिन सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिव पाल सिंह के ज्यूडिशियल एकेडमी में चल रहे कार्यक्रम में शामिल होने की वजह से फैसला टला.


पूर्व केंद्रीय मंत्री को चारा घोटाले के पहले मामले में वर्ष 2013 में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी. इस घोटाले के दूसरे मामले में लालू को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. तीसरे मामले में उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के लिए 24 जनवरी को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा दी गई.