Fodder Scam: क्या है 139 करोड़ का सबसे बड़ा चारा घोटाला 'डोरंडो स्कैम'! जिसमें लालू यादव को कोर्ट ने पांचवीं बार ठहराया दोषी
Fodder Scam: क्रॉसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद का करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी.
Fodder Scam: चारा घोटाला मामले में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को रांची की CBI कोर्ट ने दोषी करार दिया है. यह मामला डोरंडो स्कैम से 139 करोड़ रुपये की निकासी से जुड़ा है. फिलहाल उनके सजा का ऐलान नहीं किया गया है. उन्हें और बचे दोषियों को 21 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी. बता दें कि इन दिनों आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जमानत पर जेल से बाहर हैं. वहीं अगर 21 फरवरी को उन्हें तीन साल या उससे कम की सजा मिलती है तो उन्हें कोर्ट से ही जमानत मिल जाएगी, नहीं तो उन्हें कस्टडी में लिया जाएगा.
दरअसल चारा घोटाले मामला राज्य के बड़े घोटालों में शामिल है. जिसमें 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गयी थी. डोरंडो स्कैम मामला साल 1990-92 के बीच का है. जिसमें पशुओं को फर्जी तरीके से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर ढोने की कहानी कै खुलासा हुआ था. इस घोटाले की जांच के दौरान अफसरों और नेताओं के कई फर्जीवाड़े सामने आए.
क्या है मामला
मामला साल 1990-92 का है. कहने को तो इस फ्रॉड को 'चारा घोटाला' कहा जाता है लेकिन इस महाघोटाले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की पूरी कहनी है. दरअसल सीबीआई की जांच से इस पूरे फर्जीवाड़े का पता चला था कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया. इसके अलावा पशुओं को दिल्ली और हरियाणा से रांची लाने वाली गाड़ी के जो नंबर दिखाए गए थे असल में वो मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर निकले.
सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर मोटरसाइकिल और मोपेड का इस्तेमाल किया गया था. वहीं जब और जांच की गई तो पता चला कि साल 1990-92 के दौरान 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से ज्यादा में 163 सांड़, 65 बछिया खरीदे गए थे.
वहीं क्रॉसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद के लिए करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी. इस घोटाले में हिंदुस्तान लाइव स्टॉक एजेंसी के आपूर्तिकर्ता संदीप मल्लिक पर भी भेड़ और बकरी के लिए 27 लाख 48 हजार रुपए भुगतान करने का आरोप है. सीबीआई ने कहा कि इस घोटाले में कर्मचारी, नेता और व्यापारी सब शामिल थे.
इस मामले में गवाह के तौर पर CBI कोर्ट में सुनवाई के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारियों को पेश किया गया था. उन्होंने गाड़ी के नंबर के गलत होने की पुष्टि की. उन सबों ने सीबीआई अनुसंधानकर्त्ता द्वारा मांग किये जाने पर रजिस्ट्रेशन रजिस्टर की सत्यापित प्रतिलिपि भी पेश किया है जिससे पता चला है कि जो ट्रक का नंबर दर्शाया गया है वह ट्रक नहीं मोटरसाइकिल का नंबर है.
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