दिल्ली के नगर निगमों में इस वक़्त स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान चल रहा है. जिसमे तीनों नगर निगम इस वक़्त अभियान को अलग-अलग तरिके से अपने क्षेत्रों में सफल बनाने की कोशिश में लगे हैं. इसी के चलते उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्लास्टिक के कचरे को लेकर एक जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की है.


इस मुहिम में उत्तरी दिल्ली नगर निगम बिसलेरी के साथ  मिलकर अभियान का आग़ाज़ करेगा. इस के तहत प्लास्टिक को पुनः चक्रित (रि-साइकल) करने और प्लास्टिक के स्रोत अलगाव (सेग्रीगेशन) करने को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. इसको "बोटल फ़ॉर चेंज" नाम दिया गया है.


'रिसाइल के लिए बॉटल फॉर चेंग्र प्रोग्राम'


करोल बाग क्षेत्र के उपायुक्त हिमांशु गुप्ता ने बिसलेरी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के हेड,  संतोष धरने को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के क्षेत्र में बॉटल फॉर चेंज कार्यक्रम को शुरू करने के लिए अनुमति पत्र भी सौंपा है. इसमें लोगों को प्लास्टिक के प्रबंधन के सही तरीकों के बारे में जागरूक किया जाएगा.


इसके बारे में जानकारी देते हुए उत्तरी दिल्ली महापौर जय प्रकाश ने बताया कि 'उपयोग के बाद प्लास्टिक के पुनर्चक्रण और पृथक्करण के महत्व के बारे में नागरिकों को जागरूक करने के लिए “बॉटल फॉर चेंज’’ कार्यक्रम शुरू किया है. प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए खतरा माना जाता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. यदि, प्रत्येक व्यक्ति प्लास्टिक के उपयोग के बाद पृथक कर पुनर्चक्रण के लिए भेजता है, तो भारत बेहतर तरीके से प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन कर सकता है.'


'लोगों को किया जाएगा जागरुक'


इस मुहिम के बारे में निदेशक, बिसलेरी इंटरनेशनल, अंजना घोष  ने कहा है  की "लोग प्लास्टिक से नफरत करते हैं क्योंकि वे प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के बारे में जागरूक नहीं हैं. यह एक व्यापक समझ है कि प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषित करता है. लेकिन, प्लास्टिक का हर टुकड़ा कई बार पुनर्चक्रित किया जा सकता है. हमें केवल अपनी आदतों में बदलाव की आवश्यकता है, नागरिक प्लास्टिक का उपयोग करे, इसें साफ करें, इसको अलग-अलग कर पुनर्चक्रण  के लिए भेजेंगे. ये ऐसे चरण हैं जिनके बारे में बॉटल फॉर चेंज कार्यक्रम के अंतर्गत नागरिकों को जागरूक किया जाएगा."


यह कार्यक्रम मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु में भी चल रहा है और अब दिल्ली में इसे लागू किया गया है. इस कार्यक्रम के जरिए अब तक 6 लाख से अधिक नागरिकों तक पहुंचा जा चुका है और 6500 टन से अधिक प्लास्टिक को पुनर्चक्रण के लिए भेजा जा चुका है.


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