नई दिल्ली: भारत की स्पेस एजेंसी इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) नॉर्थ पोल में देश के पहले ग्राउंड स्टेशन की नींव रखने के लिए कमर कस रही है. विदेशों में ये भारत का पहला ग्राउंड स्टेशन होगा. इससे भारत के रिमोट सेंसिंग को जान मिलेगा. प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और देश की सुरक्षा के लिहाज़ रिमोट सेंसिंग बेहद अहम है.
भारत के पास पहले से रिमोट सेंसिंग प्रोग्राम
आपको बता दें कि चीन के पास दो साल पहले से नॉर्थ पोल में अपना ग्राउंड स्टेशन है. इस लिहाज़ से इसरो की ये पहल बहुत महत्वपूर्ण है. आपको ये भी बता दें कि भारत के पास पहले से रिमोट सेंसिंग प्रोग्राम है जो पूरी तरह से काम करता है. इसके लिए धरती पर निगाह रखने वाली एक सेटेलाइट डेटा इक्ट्ठा करने का काम करती है.
स्टेशन को लेकर इसरो गंभीर लेकिन लगेगा वक्त
इससे जुड़े एक बयान में कहा गया, "नॉर्थ पोल में स्टेशन को लेकर इसरो बहुत गंभीर है. हालांकि, इसके बनने में कई वजहों से थोड़ा समय ज़रूर लगेगा. लेकिन हम इसे ज़रूर बनाएंगे." आगे कहा गया कि नॉर्थ पोल के मौसम की वजह से वहां कुछ भी करने में वक्त तो लगता ही है.
बदलती तकनकी की वजह से ज़रूरी स्टेशन
नॉर्थ पोल में स्टेशन की ज़रूरत पर बल देते हुए कहा गया कि हाई रेज़ॉल्यूशन सेटेलाइट्स के रिमोट सेंसिंग की तकनीक बड़ी तेज़ी से एडवांस हुई है जिसकी वजह से नॉर्थ पोल में भारत का अपना ग्राउंड स्टेशन होना बहुत ज़रूरी है.
IMGEOS और AGEOS पर निर्भर है भारत
फिल्हाल रिमोट सेंसिंग की ज़रूरतों को बेंगलुरु स्थिति नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के IMGEOS से पूरा किया जाता है. IMGEOS ने 2011 से काम करना शुरू किया था. इसके अलावा AGEOS भी यही काम करता. अंटार्कटिका में स्थित AGEOS ने 2013 में काम करना शुरू किया था.
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