देश में एक तो कोरोना का कहर है, ऊपर से फर्जी खबर और अफवाहों की सूनामी आई हुई है. हर कोई बिना दिमाग सोशल मीडिया पर अनाप-सनाप पोस्ट कर रहे हैं और इसे ज्यादातर अविवेकी लोग सही मान लेते हैं. ऐसी खबरों का वहीं लोग अनुसरन करते हैं जिसमें ज्ञान की गहराई और खुद से सोचने का विवेक नहीं है. बिना साक्ष्य वाली खबरों पर विश्वास करना न सिर्फ घातक है बल्कि समाज में दकियानूस सोच को बढ़ावा देना है. अक्सर सरकारें ऐसी खबरों से लोगों को दूर रहने की हिदायतें देती हैं लेकिन ऐसी खबरों की इस कदर बाढ़ आई हुई है कि इसपर निजात पाना मुश्किल लग रहा है.
अब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है. इस पोस्ट में कहा गया है कि ब्लैक फंगस से सावधान हो जाए. पोस्ट में दावा किया गया है कि जब आप प्याज खरीदते हैं तो इसके ऊपर अगर काली परत बैठी हुई तो समझिए यह ब्लैक फंगस है. इसी तरह फ्रीज के अंदर रबर में भी काली परत चढ़ जाती है. यह भी ब्लैक फंगस ही है. अगर आप इस पर ध्यान नहीं देंगे तो फ्रीज में जो सब्जी रखी है, उसमें यह ब्लैक फंगस घुस जाएंगे और आपके शरीर में प्रवेश कर जाएंगे. इससे आपको ब्लैक फंगस mucormycosis से संक्रमण हो जाएगा. इतना ही नहीं फ्रीज में रखे सारे खाने वाले सामान ब्लैक फंगस से दूषित हो जाएंगे.
ब्लैक फंगस काला होता ही नहीं है
बता दें कि फ्रीज के अंदर जो काली काई जमी होती है या प्याज पर जो काली परत चढ़ी होती है, वह ब्लैक फंगस यानी mucormycosis से पूरी तरह अलग है. इसका ब्लैक फंगस से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. यह दावा पूरी तरह से गलत और आधारहीन है. एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि दरअसल, ब्लैक फंगस का नाम ही गलत है क्योंकि ब्लैक फंगस काला नहीं होता. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस की वजह से स्किन में ब्लड सप्लाई रूक जाती है जिससे स्किन पर काला धब्बा पड़ने लगता है. शायद यही वजह है कि ब्लैक फंगस या फंफूद नाम पड़ गया है. ब्लैक फंगस का नाम mucormycosis है.
इससे बचने के उपाय
डॉ गुलेरिया ने ब्लैक फंगस से बचने के उपायों पर बताया कि जो व्यक्ति लगातार स्टेरॉयड ले रहा है या किसी बीमारी की वजह से उसे स्टेरॉयड लेना पड़ रहा है तो उसे कोई भी फंगस लग सकता है. इनमें एक mucormycosis भी है. यह आंख, नाक और ब्रेन को संक्रमित करता है. कुछ मामलों में यह फेफड़ों को भी प्रभावित करता है. इस तरह ब्लैक फंगस को रोकने का सबसे बेहतर उपाय यही है कि स्टेरॉयड का इस्तेमाल न करें. इसके बाद शुगर पर नियंत्रण रखएं. जो व्यक्ति इस बीमारी की जद में नहीं हैं, उन्हें भोजन में शुगर की मात्रा को कम कर देनी चाहिए.
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