8 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिये विदेशी पूंजी की जरूरत: मुख्य आर्थिक सलाहकार
बजट के वक्त कहा गया था कि अगर भारत को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना है तो आठ फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी. इसे लेकर देश के मुख्य आर्थिक सलहाकार ने कहा है कि अगर देश को आठ फीसदी की विकास दर हासिल करनी है तो विदेशी पूंजी की जरूरत होगी.
नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के वी सुब्रमणियम ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर को मौजूदा 7 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने के लिये विदेशी पूंजी के उपयोग की जरूरत है. के वी सुब्रमणियम ने पुस्तक 'एचडीएफसी बैंक 2.0-फ्राम डॉन टू डिजिटल' के विमोचन के मौके पर कहा, "सरकारी बांड जारी करने के अलावा हमें निवेश के जरिये तेजी के चक्र (वर्चुअस साइकल) को गति देने के लिये विदेशी पूंजी के उपयोग की आवश्यकता है. एक बार तेजी का यह चक्र शुरू होने के साथ अर्थव्यवस्था के दूसरे हिस्सों में भी तेजी आएगी."
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि 2024-25 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना संभव है. हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है. उन्होंने कहा, "जब हमें निवेश प्राप्त होता है, उससे उत्पादकता, निर्यात, रोजगार बढ़ता है और इन सबसे मांग बढ़ती है. पुन: इससे निवेश बढ़ता है. इसको गति देना जरूरी है. वास्तव में हम 7 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहे हैं. 8 फीसदी की दर से वृद्धि करने के लिये हमें इसे गति देने की जरूरत है. इसीलिए विदेशी पूंजी ऐसी है जिसे हमें प्रोत्साहित करने की जरूरत है."
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के बारे में सुब्रमणियम ने कहा कि तालमेल और सहयोग के आधार पर यह किया जा रहा है और इस नीति का मकसद बड़े आकार के बैंकों का लाभ हासिल करना है. उन्होंने कहा, "ऊपर से यह रणनीति या अनिवार्यता के बजाए कि हमें चार बैंकों की ही जरूरत है, हम उन बैंकों पर गौर कर रहे हैं जिन्हें सहयोग और तालमेल से बेहतर तरीके से मिलाया जा सकता है." सरकार ने बड़े बैंक बनाने की पहल के तहत विजय बैंक और देना बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय किया. यह विलय एक अप्रैल से लागू हो गया जिससे देश का तीसरा बड़ा बैंक बनकर उभरा है.
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