विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक पारित
विधेयक में विदेशी चंदा पाने वाले संगठनों में पारदर्शिता लाने का प्रावधान है लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार सभी एनजीओ पर शिकंजा कसना चाहती है.
नई दिल्ली: लोकसभा में लोकसभा में विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन विधेयक ( Foreign Contribution Regulation Amendment Bill ) आज पारित हो गया. विधेयक में विदेशी चंदा पाने वाले संगठनों में पारदर्शिता लाने का प्रावधान है लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार सभी एनजीओ पर शिकंजा कसना चाहती है.
विदेशी चंदे का दुरुपयोग रोकने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. विदेशी चंदे को रेगुलेट करने के लिए आज लोकसभा में एक संशोधन बिल पारित किया गया. बिल का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों को विदेशों से मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाना है.
सदन से पारित विधेयक के मुताबिक अब विदेशी चंदा पाने वाले संगठन अपना पैसा किसी और को ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे. विदेशी चंदे का दुरुपयोग करने वाले संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार को और सक्षम बनाया गया है.
विदेशी चंदे में से अब सिर्फ़ 20 फ़ीसदी पैसा प्रशासनिक कार्यों के लिए खर्च किया जा सकता है पहले इसकी सीमा 50 फ़ीसदी तक थी. बाकी पैसा उसी काम में ख़र्च करना होगा जिस काम के लिए उसे मंगाया गया होगा.
अब सभी एनजीओ अपना विदेशी चंदा नई दिल्ली स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में ही मंगा सकेंगे. हालांकि एनजीओ नई दिल्ली के खाते से अपने अन्य खातों में भी पैसा ट्रांसफर कर सकेंगे. ऐसे खातों में विदेशी चंदों के अलावा और कोई लेन देन नहीं हो सकेगा. विदेशी चंदा पाने वाले गैर सरकारी संगठन यानि एनजीओ के अधिकारियों के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य होगा.
नए बिल में एक और प्रावधान किया गया है कि अब जन सेवक (Public Servant ) भी विदेशों से चंदा नहीं ले पाएंगे. पहले वाले क़ानून में सरकारी सेवक, जज और सरकारी या अर्ध सरकारी संस्थानों में काम करने वाले लोगों पर विदेशी चंदा लेने पर रोक थी.
हालांकि लोकसभा में हुई बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने सरकार पर इस बिल के बहाने एक खास धर्म और समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया. विपक्षी सांसदों ने यहां तक आरोप लगाया कि सरकार ऐसे संगठनों पर हमला कर रही है जो सरकार के खिलाफ हैं. सरकार ने इन आरोपों को खारिज़ कर दिया.
सरकार के मुताबिक साल 2010 से 2019 के बीच एनजीओ को आने वाला विदेशी चंदा 2 गुना बढ़ गया है. वहीं बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों द्वारा अपना लेखा-जोखा सरकार के सामने पेश नहीं किए जाने और फंड का दुरुपयोग नहीं किए जाने के भी मामले भी सामने आए हैं.
इसके चलते 19000 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के पंजीकरण का प्रमाणपत्र रद्द किया गया है. इतना ही नहीं विदेशी चंदे का दुरुपयोग करने वाले दर्जनों एनजीओ के खिलाफ आपराधिक मामले भी चल रहे हैं.
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