जम्मू: पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से प्रदेश की सियासी और सामाजिक नब्ज़ टटोलने के लिए यहां पहुंचे विदेशी राजनयिकों ने अपने दौरे के दूसरे और अंतिम दिन घाटी से करीब तीन दशक पहले विस्तापित हुए कश्मीरी पंडितो से मुलाकात की. जम्मू की सब से बड़ी विस्थापित कॉलोनी 'जगती कैंप' पहुंचे इन राजनयिकों से विस्थापितों ने कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कराने की मांग की.
गुरुवार शाम जम्मू पहुंचे विदेशी राजनयिकों ने शुक्रवार को जम्मू में कश्मीर से विस्तापित हुए कश्मीरी पंडितो से मुलाकात की. यह मुलाकात जम्मू में कश्मीरी पंडितो के सब से बड़े विस्थापित कैंप जगती में हुई, जहां कश्मीर से विस्थापित हुए करीब 4500 लोग रहते हैं.
विदेशी राजनयिकों की जगती पहुंचने की खबर जैसे ही जगती में रह रहे कश्मीरी पंडितो तक पहुंची तो वहां के लोग इन राजनयिकों तक अपनी बात पहुंचाने के अलग-अलग तरीके निकालने लगे. इन राजनयिकों के जगती पहुंचने से पहले कुछ विस्थापित पंडितो ने फ्री कश्मीर का पोस्टर लेकर कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने की मांग उठाई.
फ्री कश्मीर का पोस्टर लिए रविंद्र कौल का दावा है कि 1990 में कश्मीरी पंडितो को कश्मीर से निकला गया.उनका दावा है कि कश्मीर में इस समय पूरी आज़ादी है और अगर किसी चीज़ का प्रतिबंध है तो वो सिर्फ कश्मीरी पंडितो के कश्मीर वापस जाने पर है. उन्होंने मांग कश्मीर को जल्द से जल्द आतंकवाद से मुक्त किए जाने की मांग की ताकि कश्मीरी पंडितो की घर वापसी हो सके.
वहीं, फ्री कश्मीर के नाम पर हो रही बहस के बीच कश्मीरी पंडितो का दावा है कि जिस फ्री कश्मीर के पोस्टर जम्मू कश्मीर से बाहर लगते हैं उनमें और जगती कैंप में लग रहे फ्री कश्मीर के पोस्टर में फर्क है. जहां बाहर के पोस्टरों में कश्मीर को किस चीज़ से आज़ादी चाहिए उसका ज़िक्र नहीं रहता है तो हमारे ऐसे पोस्टर में हम कश्मीर को आतंकवाद से आजादी दिलाने की मांग करते हैं.