एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच दुशांबे में एक घंटे चली बैठक, LAC पर हुई चर्चा
वास्तविक नियंत्रण रेखा का हवाला देते हुए एस. जयशंकर ने कहा- दुशांबे एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब एक घंटा तक चर्चा हुई.
Foreign Minister Meets Chinese Counterpart: विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के उनके समकक्षीय विदेश मंत्री वांग यी के बीच बुधवार को मुलाकात हुई और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लंबित मुद्दों को लेकर चर्चा हुई. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच करीब एक घंटे तक यह बैठक चली. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच सीनियर मिलिट्री कमांडर्स स्तर की बैठक पर सहमति भी बनी. जयशंकर और वांग यी के बीच यह चर्चा शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई.
वास्तविक नियंत्रण रेखा का हवाला देते हुए एस. जयशंकर ने कहा- दुशांबे में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ करीब एक घंटा तक चर्चा हुई. चर्चा का मुख्य केन्द्र वेस्टर्न सेक्टर में लंबित मुद्दों से जुड़ा हुआ था.
Concluded a one-hour bilateral meeting with State Councilor and FM Wang Yi of China on the sidelines of Dushanbe SCO Foreign Ministers Meeting.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2021
Discussions focused on the outstanding issues along the LAC in the Western Sector. pic.twitter.com/YWJWatUErI
लद्दाख सीमा को लेकर चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत पर एस जयशंकर ने कहा कि इस बात को रेखांकित किया गया कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं है. दुशांबे में चीनी विदेश मंत्री के साथ वार्ता पर एस. जयशंकर ने आगे कहा कि पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा हुई.
अपने चीनी समकक्षीय के साथ हाथ मिलाते हुए एक फोटो ट्वीट करते हुए जयशंकर ने कहा कि संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्ण शांति बहाली और समरसता को बरकरार रखना आवश्यक है. कोरोना महामारी के चलते दोनों विदेश मंत्रियों ने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था.
गौरतलब है कि पिछले साल मई के बाद से ही भारत और चीन के बीच एलएसी पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. जून में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प ने इस तनाव को और बढ़ा दिया था. हालांकि, सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ता के बाद कुछ जगहों से दोनों देशों के सैनिक अपने पूर्ववर्ती जगह पर चले गए, लेकिन अब भी एलएसी से लगते कई इलाकों से सैनिकों की वापसी नहीं हो पाई है.
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