India-Canada Row: भारत और कनाडा के बीच विवाद की चर्चा हर जगह होने लगी है. विदेश मंत्री एस जयशंकर गुरुवार को अमेरिकी विदेशी मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात करने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान भी भारत-कनाडा विवाद का मुद्दा उठ सकता है. दरअसल, विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं. उन्होंने यहां पर चीन को लेकर भी बात की और बताया कि उससे निपटने के लिए क्या करने की जरूरत है. 


खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप कनाडा ने भारत के ऊपर लगा दिया. इसके बाद से ही भारत-कनाडा विवाद की शुरुआत हुई. दोनों देशों ने अपने-अपने यहां से शीर्ष राजनयिकों को जाने को भी कह दिया. वहीं, हिंद महासागर में तो चीन हमेशा ही पैठ बनाने की कोशिश करता रहता है. इससे भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका भी परेशान है. ऐसे में आइए जानते हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को लेकर क्या कहा और कनाडा मुद्दे पर क्या होने वाला है. 


ब्लिंकन संग बैठक में कनाडा पर हो सकती है बात


भारत और कनाडा के बीच जिस तरह विवाद चल रहा है, उसकी चर्चा अमेरिका में भी हो रही है. यही वजह है कि जब गुरुवार को जयशंकर को ब्लिंकन की मुलाकात होगी, तो इसमें कनाडा को लेकर भी बात होने की संभावना नजर आती है. अमेरिका के लिए भारत और कनाडा दोनों ही सहयोगी देश हैं. हालांकि, अभी तक इस बैठक के एजेंडे पर न तो भारतीय और न ही अमेरिकी अधिकारियों ने कुछ कहा है. मगर फिर भी कनाडा मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद नजर आ रही है. 


अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से जब कनाडा के मुद्दे पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'मैं ब्लिंकन और जयशंकर की बैठक की बातों को नहीं बताना चाहता हूं. लेकिन हम कनाडा के मुद्दे पर साफ हैं.' उन्होंने कहा, 'हमने इस पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ बातचीत की है और उन्हें कनाडाई जांच में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है और हम उन्हें सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना जारी रखेंगे.'


चीन पर क्या बोले विदेश मंत्री? 


विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी पहले से ज्यादा हो गई है. इसके मद्देनजर भारत की तैयारी बहुत तार्किक है. उन्होंने कहा कि ये सामरिक रूप से अहम क्षेत्र है. यहां पैदा हुए हालातों से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है, अगर क्वाड (भारत,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) देश मिलकर काम करें. उन्होंने ये बातें ‘कांउसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन’ में एक कार्यक्रम के दौरान कहीं. 


जयशंकर ने कहा, ‘जब तक आप सीप को नहीं देखेंगे मोती हमेशा कमजोर ही लगेगा. उनका नजरिया थोड़ा अलग हो सकता है.’ जयशंकर से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के बारे में सवाल किया गया था जिसे ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ कहा जाता है. साथ ही पूछा गया था कि क्वाड समूह शक्ति संतुलन भारत या अमेरिका के विपरीत न हो जाए यह सुनिश्चित करने के लिए क्वाड क्या कर सकता है.


विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले 20 से 25 सालों के भीतर हिंद महासागर में चीन की नौसेना की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. जब आप के पास बहुत बड़ी सेना होगी तो वह नौसेना निश्चित तौर पर कहीं तैनाती के संदर्भ में दिखेगी. जयशंकर ने पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हम्बनटोटा में चीन के जरिए बंदरगाह निर्माण का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि पीछे अगर देखें तो तब की सरकारों ने, नीति निर्माताओं ने इसके महत्व और भविष्य में इनके संभावित उपयोग एवं महत्व को कमतर कर आंका. 


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