(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कनाडा की अगुवाई में आज हो रही बैठक से विदेश मंत्री जयशंकर ने किया किनारा
कनाडा को लेकर भारत की आपत्तियां बेवजह नहीं हैं. बीते दिनों भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन पर सार्वजनिक बयान दिया था, बल्कि उनके प्रदर्शन को कनाडा का समर्थन भी जताया था.
नई दिल्ली: भारत में किसान आंदोलन पर कनाडाई पीएम की टीका-टिप्पणियों से बढ़ी तल्खी के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा की अगुवाई में कोरोना पर सोमवार को होने वाली बैठक से किनारा करने का फैसला किया है. हालांकि कोरोना संकट पर बने विदेश मंत्री समूह की बैठक में फिलहाल भारतीय विदेश मंत्री की गैरहाजिरी की वजह उनके शेड्यूल की व्यस्तता को बताया गया है.
सरकारी सूत्रों ने इस बात की तस्दीक करते हुए कहा कि विदेश मंत्री के सोमवार को कोरोना संकट पर होने वाली विदेश मंत्रियों की 7 दिसम्बर की बैठक में शामिल होने का कोई कार्यक्रम नहीं है. डॉ जयशंकर की अन्य व्यस्तताओं के कारण इस बैठक में उनका शरीक होना सम्भव नहीं है. यह बात कनाडा पक्ष को बता दी गई है.
हालांकि शिष्टाचार के तकाजे में भले ही भारतीय विदेश मंत्री की व्यस्तताओं का हवाला दिया गया हो, लेकिन कनाडा के विदेश मंत्री फ्रेंकोय फिलिप शेंपेंन की अगुवाई में होने वाली विदेश मंत्रियों के सहयोग समूह में शामिल न होने का फैसला भारत की अपनी आपत्ति दर्ज कराने का ही एक तरीका है. इससे पहले 3 नवंबर को हुई सहयोग से समूह की बैठक में विदेश मंत्री शामिल हुए थे. कोरोना संकट के बाद देशों में आपसी सहयोग और तालमेल के लिए बनाए गए इस समूह में ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, सिंगापुर, ब्रिटेन, और साउथ अफ्रीका समेत कई देश शामिल हैं.
कनाडा को लेकर भारत की आपत्तियां बेवजह नहीं हैं. बीते दिनों भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने किसान आंदोलन पर सार्वजनिक बयान दिया था, बल्कि उनके प्रदर्शन को कनाडा का समर्थन भी जताया था. इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चयुक्त को तलब कर सख्त ऐतराज दर्ज कराया था. बल्कि बयान जारी कर कहा था कि प्रधानमंत्री ट्रूडो की टिप्पणियां गैरजरूरी और गलत तथ्यों पर आधरित हैं.
मगर, भारत की तरफ से सीमा रेखा दिखाए जाने के बावजूद प्रधानमंत्री ट्रूडो ने किसान आंदोलनों को लेकर अपने बयानों को दोहराया. जबकि भारत यह साफ कर चुका है कि पीएम टूडो के ऐसे बयानों से कनाडा में भारतीय उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास के बाहर उग्र व चरमपंथी प्रदर्शनों को बढ़ावा मिलता है, जिससे सुरक्षा की चिंताएं बढ़ती हैं. कनाडा में इस मामले को लेकर न केवल क़ई प्रदर्शन हुए, बल्कि अनेक नेताओं ने बयानबाज़ी भी की.
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